Shalya Tantra MCQ Set – 8
You are amazing! Keep practicing. Best wishes You tried well! Keep practicing. Best wishes #1. आन्त्रवृद्धि में दहन कर्मार्थ यह शलाका उपयोगी है।
#2. शीतवर्षाऽनिलैर्दग्धे…..च शस्यते।
#3. सुश्रुत कल्पस्थान में अध्याय संख्या है।
#4. परिक्षेपी भगंदर में दोष प्रधानता होती है।
#5. According to ‘Rule of Wallace’ burn of a lower limb in children is equal to…….
#6. पशुमुखी स्वस्तिक यन्त्र’ की संख्या है।
#7. In hypoparathyroidism the serum calcium level is
#8. वर्षा ऋतु में…. दिन व्रण की पट्टी खोलना चाहिए।
#9. निम्न में जलौका सबिष नहीं है।
#10. चिकित्सा के बीज में समाविष्ट नहीं है।
#11. प्रकुपित दोषा क्षतेऽक्षते वा श्वयथु जनयति । संप्राप्ति है।
#12. रक्त का विस्रता गुण इस महाभूत के कारण होता है।
#13. उत्तर तंत्र में कायचिकित्सा के अध्यायों का वर्णन है।
#14. अस्थि विश्लेषोऽत्र…. अभिप्रेतः (मानि)
#15. Brudzinski sign present in
#16. मेदोज अर्बुद रोपनार्थ…..तैल प्रयोग करे।
#17. Tumor of pancreas characterized by
#18. Common site of paget’s diseases is
#19. 3rd cranial nerve palsy is associated with…. cranial fossa fracture
#20. अलाबु द्रव्य का उपयोग इस योग्याकर्मार्थ करते है।
#21. शोफद्वय’ इस इन्द्रिय से जानने योग्य विषय है।
#22. वाग्भट के अनुसार समुद्रफेन अनुशस्त्र का कर्म है।
#23. इतरथा दग्ध’ को कहते है।
#24. Recommended dose of DEC in filariasis is
#25. Goitre is more common in this gender
#26. अतिशीत वायु से दग्ध होने पर……चिकित्सा करे।
#27. उत्तरतन्त्र के प्रारम्भिक अध्याय को कहते है।
#28. क्षार निर्माण में समान भाग में गोमूत्र एवं जल कथन है।
#29. ….अस्थि के भग्न में 5 खिलयुक्त कपाटशयन करे।
#30. धमनीः परिहरन्…. शस्त्रं निदध्यात आपूयदर्शनात ।
#31. पंचभिः श्रोत्रादिभीः प्रश्नेन चेति । षड्विध है।
#32. …..भगंदर चिकित्सा में प्रथम बाह्यनाडी का छेदन करना चाहिये।
#33. Serous discharge is present in……ulcer.
#34. क्षौद्रगुडस्नेह से दहन करे।
#35. सर्व……अग्निसन्निभम ।
#36. दन्तवेष्टक पर छेद लेना चाहिए।
#37. अपवृत्त, उदवृत्त फलयोनि में इस कर्म का निषेध है।
#38. परम सुकुमार के लिए रक्तमोक्षणार्थ उपयोगी है।
#39. पूर्व जातेः पुनः उत्पन्न…..अर्बुद लक्षण है।
#40. विसर्पबत सर्पति’ इस क्षुद्र रोग के बारे में है।
#41. अपची व्याधि दोषप्रधान है।
#42. क्षारनिर्माण इस ऋतु में करने के निर्देश है।
#43. सुश्रुत संहिता में बिष तंत्र का वर्णन…..स्थान में है।
#44. लघुभुक्तवत अवस्था में शस्त्रकर्म करना चाहिए।
#45. सरोम्णि चर्मण्यातते…..। इस योग्या कर्मार्थ उपयोगी
#46. यह सर्व शल्यतन्त्रों के मूल (प्रधान) प्रवर्तक नहीं है।
#47. इस देश की जलौका श्रेष्ठ है।
#48. Cherry tumour found in….. organ
#49. Fracture lateral condyl of tibia is called as
#50. शाल्मली कण्टकप्रख्या- कफमारूत शोणितैः ।
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