Shalya Tantra MCQ Set – 6
You are amazing! Keep practicing. Best wishes You tried well! Keep practicing. Best wishes #1. तैल द्रोणीशयन चिकित्सा कौनसे व्याधि में करते है ?
#2. क्षुद्ररोग में राजिका व्याधि का वर्णन किसने किया है?
#3. बहुदोष युक्तं उपदेश व्याधि में कौनसी चिकित्सा करते है ?
#4. भन में विलम्बित रोहण निम्न में से किस कारण से होता है?
#5. बालकों में अश्मरी व्याधि साध्यासाध्यता….
#6. अंगुल्या अवपीडिते प्रत्यन्तुमं यह व्रणशोथ की अवस्था है।
#7. अशस्त्रकृत रक्तमोक्षण के कितने प्रकार है ?
#8. अंसमध्य में सिरावेध इस व्याधि में करे ।
#9. सुश्रुत उत्तरतंत्र में भूतविद्या संबंधी कुल अध्याय है।
#10. ग्रंथि व्याधि से संबंधित कौनसा एक कथन असत्य है ?
#11. योग्याकर्मानुसार घुणोपहत काष्ठ का उपयोग ……….कर्माभ्यासार्थ करते है ?
#12. उर्ध्व, अध, तिर्यक, ऋजु, अर्वाचीन यह शल्य गति वर्णन की है।
#13. व्रणशोफ की चिकित्सा में…………उपक्रम का समावेश नहीं होती है ?
#14. रसतरंगिणी नुसार क्षारसूत्र निर्माणार्थं तुल सूत्र को रजनी चूर्ण व सुधा दुग्ध की कितनी भावनायें दी जाती है?
#15. तैलपूर्ण द्रोणी में शयन यह चिकित्सा भग्न की है।
#16. अपाकी कठिण स्थीर स्नायुकोथादि’ व्रण में कौनसा उपक्रम करते है ?
#17. सुश्रुतानुसार स्नेहादि क्रिया तथा लेपनादि से व्याधि की शांती न होनेपर ……… उपक्रम करना चाहिये ।
#18. अम्बुपुर्ण दृती इव क्षुभ्यति यह लक्षण वृद्धि का है।
#19. भग्नस्थानपर अस्थि उन्नत होनेपर उपक्रम किया जाता है ?
#20. चरकाचार्यनुसार व्रण की परिक्षाएं है ।
#21. अर्श, अतिसार यह विकार परस्पर के हेतु माने जाते है।
#22. चरकानुसार निम्न में से कौनसा एक विद्रधि का स्थान नहीं है ?
#23. अवपिडितश्चो उर्ध्वं उपैति विमुक्तश्च पुनः आध्मायते’ यह लक्षण कौनसी वृद्धि में पाया जाता है ?
#24. अतिक्षिप्त यह भग्न का प्रकार है।
#25. वितान बंध का प्रयोग बंध बांधने के लिये करे।
#26. सुश्रुतानुसार वेल्लितक क्या है ?
#27. सुश्रुतानुसार ब्रणगुण कितने है ?
#28. अर्श व्याधि में क्षार प्रतिसारण पश्चात् पुनः क्षारकर्म कितने दिन बाद करते है ?
#29. सुश्रुतानुसार आहरण……. कर्म है
#30. द्वितीय वलि आश्रित अर्श की साध्यासाध्यता है। सुश्रुत
#31. गोफणा बंध कौनसे स्थान पर बांधते है ?
#32. पादांगुष्ठ प्रमाणा’ भगंदर लक्षण है।
#33. औषधि वस्त्र योरन्तरे वा दीर्यते ।
#34. फलपाकनिष्ठा……है।
#35. संग्रहकार ने इस सद्यत्रण के 8 भेद और वर्णन किये है।
#36. निम्न में से कौनसे स्थानगत ब्रण सुखसाध्य नहीं है ?
#37. नासार्बुद हरणार्थ…. शलाका का प्रयोग किया जाता है?
#38. पंचलवण तैल का प्रयोग कौनसी गलगण्ड की चिकित्सा में वर्णित है ?
#39. निम्न में से कौनसा एक क्षार दोष है ?
#40. यह उपक्रम व्रणशोथ का द्वितीय उपक्रम है।
#41. निम्न में से कौनसा एक बंधप्रकार है ?
#42. स्पृश्यमान शब्दवत यह भग्न का लक्षण है ।
#43. सिंधानक समान स्त्राव व्रण से निकलता है।
#44. ……….व्रणवस्तु से निकलनेवाला स्त्राव ‘सलिलप्रकाश’ होता है।
#45. स्त्रोत के मर्म है।
#46. निम्न में से कौनसा एक क्षारकर्म नहीं है ?
#47. हतनाम कौनसे व्याधि का पर्यायी नाम है
#48. अष्टविध मर्म विशेष में से मुष्कवह मर्म पर आघात होने से …… लक्षण उत्पन्न होता है । सु. अश्मरी चिकित्सा
#49. निम्नतः गलगण्ड का भेद वर्णात नहीं है।
#50. जतुमणी व्याधि में कौनसी शस्त्रकर्म करते है ?
#51. पाणीय क्षार निर्माण के पश्चात् दिन में सेवन करना चाहिये।
#52. निम्न में से कौनसा वृध्दि प्रकार असाध्य है ?
#53. यह व्याधि चिकित्सा में क्रियाशस्त्रकर्म जघन्य माना है।
#54. वेदनोपशांति पाण्डुता अल्पशोफता’ यह व्रणशोफ की…… अवस्था के लक्षण है ?
#55. अदृश्य अर्श में निम्न में से कौनसा चिकित्सा उपक्रम करते है ?
#56. वंक्षण प्रदेश में सामान्यतः बंध प्रयोग करना चाहिये ।
#57. वार्ताक या आमलकाकृति गांठें व्याधि में पायी जाती है।
#58. अवपाटिका व्याधि की उपेक्षा करने से कौनसा व्याधि उत्पन्न होता है ?
#59. वृन्तफलसंधि स्थानपर कौनसे शस्त्र का ग्रहण करते है ?
#60. सुश्रुतानुसार व्रण में पूय की उत्पत्ति कौनसे दोष के आधिक्य से होती है ?
#61. असंवृत्त गुद व्याधि का वर्णन किसने किया है ?
#62. वाग्भटानुसार यन्त्रकर्म कितने है ?
#63. सुश्रुतानुसार तालयन्त्र की सामान्य लंबाई है।
#64. भावप्रकाश नुसार ब्रध्न व्याधि में शोध का अधिष्ठान…. है ।
#65. शरशल्यास्थि छेदनार्थ……. पायित शस्त्र का उपयोग किया जाता है ?
#66. बस्तिकटिमुष्कमेद्रेषु वेदना’ यह कौनसी व्याधि का पूर्वरूप है ?
#67. वातज भगंदर में…………. प्रकार से भेदन करते है ।
#68. पाषाणवत् स्थिर शोफ’ यह….. • अर्बुद का लक्षण है ?
#69. व्रण के परिग्राही कितने है ?
#70. पाषाणवतचिराभीः वृध्दि : यह लक्षण ग्रंथि का है।
#71. मर्माश्रित अर्बुद साध्यासाध्यता……….
#72. वाग्भटानुसार अन्तः परिमार्जन व बहि: परिमार्जन यह…….के प्रकार है ?
#73. अस्थि ग्रंथि का वर्णन किसने किया है ?
#74. सुश्रुतानुसार उदर प्रदेशी कौनसा बंध बांधते है ?
#75. मर्मस्थ आम या पक्कं विद्रधि कि साध्यासाध्यता है।
#76. पक्च विद्रधि में समान चिकित्सा करे।
#77. सिरावेध पश्चात् पथ्यापथ्य का पालन कितने दिनों तक करते है ?
#78. शतपोनक भगंदर……. दोषाधिक्य से उत्पन्न होता है।
#79. गंधतैल निर्माणार्थ.: ….द्रव्य का प्रयोग किया जाता है ?
#80. अनुलोमन कौनसे शस्त्र का कर्म है ?
#81. ……. यन्त्र कटु रुक्ष तीक्ष्ण गुणात्मक होता है?
#82. गोस्तनसन्निभा’ लक्षण कौनसे अर्श में पाया जाता है ?
#83. मुढेन मांसलुब्धेन सास्थि शल्यं अभ्यवहृतं । .. यह कौनसे भगंदर का हेतु है?.
#84. शस्त्र अनुशस्त्र में प्रधानतम है।
#85. मध्यमावस्था में भग्न रोहण अवधी….
#86. कुरण्ड व्याधि ……….दोष प्रधानता से उत्पन्न होता है ?
#87. निम्न में से कौनसा भन्न बालकों में पाया जाता है ?
#88. अर्बुद व्याधि में वेदना का स्वरूप होता है।
#89. प्रहार, पीड़न से अंग पृथु होना यह सद्यन्रण का लक्षण है।
#90. अलाबु से रक्तमोक्षण इस दोषप्रधान व्याधियों में करते है ?
#91. तनु कर्णपाली व्यधनार्थ………. शस्त्र का प्रयोग करते है ?
#92. सुश्रुतानुसार क्षार का प्रतिसारण इस व्याधि में करते है ?
#93. चिपिटिकावन्तो यह कौनसा व्रणावस्था का लक्षण है।
#94. व्रण षष्ठी उपक्रम में कुक्कुटाण्ड का उपयोग किस कर्मार्थ करते है ?
#95. चक्रकार मर्दन कौनसी भग्न चिकित्सा में वर्णित है ?
#96. निम्न में से कौनसे व्याधि में अभुक्तवत शस्त्रकर्म करते है ?
#97. . ‘अपुनर्भवं भेषज क्षारैः असाध्यानां साध्यत्वाच्य’ यह…… प्राधान्यता का लक्षण है ।
#98. भगंदर के वाग्भटानुसार प्रकार………….है
#99. मुद्गसन्निभ पिटिका कौनसे व्याधि में पायी जाती है ?
#100. अव्याशिरस्का वृध्दाधकाय यह जलौका का लक्षण है।
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