PTSR MCQ set – 7
#1. भगस्याधः स्त्रिया बस्ति… गर्भाशय स्थित ।
#2. चरतो विश्वरूपस्य रुपद्रव्यं यदुच्यते’ इससे संबंधित है।
#3. रक्तप्रदर के प्रकार वर्णित है।
#4. आर्तव विमोचनी धमनियाँ है ।
#5. स्तनरोग में दुष्य होते है।
#6. किंशुकोदक समान स्त्राव…. प्रदर का लक्षण है।
#7. प्राक्ररचणा यह योनिव्यापद सुश्रुताचार्यानुसार दोष प्रधान है।
#8. सुश्रुताचार्यनुसार स्त्री में बहिर्मुख स्त्रोतस होते है ।
#9. Treatment advised in fibroid uterus is
#10. क्षामप्रसन्नवदना’ इस अवस्था में स्त्री लक्षण
#11. योनिसंवरण’ व्याधि का वर्णन… ने किया है।
#12. आचार्य काश्यपनुसार सूतिकाकाल है।
#13. मक्कल का उपद्रव यह व्याधि होता है।
#14. हृद्वस्त्योरन्तरे ग्रंथिः संचारी यदि वाऽचल चयापचयवान् वृत्त सः ।
#15. Expulsion of placenta in III” stage required time
#16. Functional closure of foramen oval at
#17. मध्य निबडा योनि …. होती है।
#18. In krukenber’gs tumour secondary involvement of …… may cause.
#19. स्फुरद्भुजकुचश्रोणिनाभ्यूरूजघनस्फिकाम् ।… का लक्षण है।
#20. Shape of non pregnant uterus is
#21. कर्म मासद्वय यावत् । पुसंवन विधि करना चाहिए।
#22. माधव निदान नुसार गर्भस्राव….. मास तक होता है।
#23. मातृपृष्ठाभिमुख…. संकुच्याऽन्यास्तेऽन्तकुक्षौ । स्वाभाविक स्थिति है।
#24. निम्न में से शुद्ध स्तन्य लक्षण है।
#25. बंगसेननुसार निम्न में से आमज शोध के लक्षण है।
#26. ‘वन्ध्यत्व’ चिकित्सार्थ शतपुष्पा की मात्रा देनी चाहिए। काश्यप
#27. Treatment advised in fibroid uterus is
#28. आसन्नप्रसव अवस्था में…….परिचारिका सेवा में रहनी चाहिए।
#29. Choose incorrect option about placenta – a. It is discoid in shape b. Thickness is 2.5 c. Weight of 530 gm d. Placenta diameter 8-9 angul
#30. क्षताच्च नखदंताद्यैः वाताद्याः कुपिता मला पुयशोणित संकाश…..
#31. Some times……..ducts are open at vestibule
#32. Women not menstruate by the age of 14 years in the absence of secondary sexual characters
#33. हाथ पैर से गर्भनिर्मिती प्रारम्भ होती ऐसा मत ….. का है।
#34. गर्भाशय, आर्तबगमन स्त्री शरीर की विशेषता होने के कारण ही यह व्याधि स्त्री शरीर में पाया जाता है !
#35. सुश्रुताचार्यानुसार प्रसव के कारण है।
#36. नक्तचारीनी गर्भवती स्त्री में यह गर्भविनाशक भाव निदर्शन में आता है।
#37. गर्भिणी आहाररस कार्य करता है।
#38. हारीत ने पंचक्षीरदोष वर्गीकरण के आधार पर किया है।
#39. जीवनीय सिद्ध क्षीर इस योनिव्यापद की चिकित्सा है।
#40. Length of clitoris is
#41. गर्भावस्था में बालक की बलवर्ण वृद्धि इस मास में होती है।
#42. नष्टार्तवा स्त्री को सुश्रुत ने कहा है।
#43. ‘शुक्र मंड समान रहने पर गर्भ का वर्ण होता है।
#44. माधवनिदान नुसार अण्डली यह सुश्रुत का योनिव्यापद है।
#45. दौहृद अवमान से गर्भ होता है।
#46. चरकनुसार मातृजादि रसज भाव है।
#47. तंत्र शुक्र बाहुल्यात…..।
#48. ‘कायसंगी’ मूढगर्भ प्रकार है।
#49. स्वाभाविक गर्भसंग…. प्रकार से होता है ।
#50. Third degree placenta previa is
#51. भावत्यक्तविग्रह ससद्भूतांगावयवः । गर्भवृद्धि मांस है।
#52. सुश्रुत नुसार इस आयु में रजोनिवृत्ति होती है।
#53. ……..is the average age of menarch
#54. मूढगर्भ पर शस्त्रकर्म…. इस शास्त्र की सहायता से करना चाहिए।
#55. मंथर गति है।
#56. नितान्तं रक्तं स्रवाति मुहुर्मुहरथार्तिमान…. लक्षण है।
#57. ‘Torch’ infection suggests……
#58. पिच्छिल यह शुक्र का है।
#59. आमगर्भपतित होने के बाद गर्भिणी स्त्री को मद्य देने का कारण
#60. व्रणवत चिकित्सा…. क्लैब्य में करें।
#61. वैरस्य स्तन्य दोष यह दोष प्रधान रहता है।
#62. सुश्रुतनुसार सूतिकाग्रह का द्वार दिशा में हो।
#63. नित्य बेदना इस योनिव्यापद का लक्षण है।
#64. शरीर धारण करनेवाले आप धातु का नाम है। यो.. र.
#65. आमगर्भ निर्हरण के बाद सुरापान का उद्देश है।
#66. गर्भअस्पंदन अविणा प्रणाश श्यावपाण्डुता उच्छवास पूतित्व:
#67. After full terrn normal vaginal delivery the patient went into shock. Most appropriate cause is…
#68. तृष्णालु भिन्न विट शिशुः । नित्यमुष्ण शारीरश्च… स्तन्यदोष सेवन का दुष्प्रभाव है।
#69. उदावर्त योनिव्यापद लक्षण तुल्य है।
#70. मक्कल चिकित्सार्थ यवक्षार चूर्ण का अनुपान है।
#71. इस रस का अधिक सेवन से उदावर्त व्याधि होता है।
#72. स्त्री शुक्र एवं बाल शुक्र का वर्णन किया है।
#73. भवत्य उच्छवास पुतित्वं … गर्भ लक्षण है।
#74. Pale white colour Lochia is called
#75. प्रसव समय गर्भ का शिर उपर रहकर योनि में प्रवेशित होना….. गति है।
#76. पुर्णमेवतैलपात्रंसमं रक्षा करने का प्रावधान है।
#77. सुश्रुतनुसार गर्भिणी को बस्ति…. मास में दे।
#78. योनि में पेशी की संख्या होती है।
#79. नागोदर व्यापद में अस्पंदन लक्षण वर्णन किया ।
#80. स्त्री के न्युब्ज स्थिति में गर्भाधान किया तो लक्षण उत्पन्न होता है।
#81. आर्तव को आठवा धातु कहा है।
#82. वाजीकरण एवं रसायन चिकित्सा इस शुक्रदुष्टि में करते है ।
#83. सुश्रुताचार्यनुसार लांगलीमुल कल्क का हस्तपादतला पर लेप चिकित्सार्थ करते है |
#84. Aspermia is term defined as
#85. किक्किस रोग की उत्पत्ति मास में होती है।
#86. Assessment of internal ballotment done in
#87. लोहितक्षरा योनिव्यापद…. आचार्य ने वर्णन किया है।
#88. एकपादो यमकुले पाद एक इहस्थले, काश्यप ने वर्णन किया।
#89. स्त्री शरीर में कुल पेशियाँ होती
#90. नीलपुष्प प्रतिकांश’ यह वर्णन… अर्श व्याधि का है !
#91. …….is the surgical management of tubal pregnancy.
#92. Common position of foetus in uterus is
#93. नवम मास में ओज अस्थिर होता है। ऐसा इस आचार्य ने कहा है।
#94. हारीतनुसार दुष्टी ज्वर का प्रमुख कारण है।
#95. सुश्रुताचार्य ने ‘उदुखलात धान्य कुट्टन’ यह उपक्रम चिकित्सार्थ प्रयोग किया।
#96. यकृत की उत्पत्ति…. इस गर्भज भाव से होती है।
#97. ‘खरस्पर्शा च मैथुना’ इस योनिव्यापद का लक्षण है।
#98. गर्भिणी क्लान्ततमा भवति ।
#99. परिप्लुता योनिव्यापद… सम है।
#100. सुश्रुत के अनुसार ऋतुकाल होता है।
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