PTSR MCQ set – 6
#1. सशुले जघनेनारी विज्ञेया…..। भा. प्रकांश
#2. कर्म मासद्वय यावत् । पुसंवन विधि करना चाहिए।
#3. अतिभोजन कर व्यवाय करने से उत्पन्न योनिव्यापद है।
#4. धात्री का……….व्याधि से सदैव रक्षण करना चाहिए।
#5. Is the uterine sign of pregnancy
#6. अगर आप के विचार से गर्भाशय में सर्वप्रथम इन्द्रियों की उत्पत्ति होती है तो आप इस आचार्य के मत से साधर्म्य रखते हो।
#7. दौहृद अवमान से गर्भ होता है।
#8. हारीतनुसार गर्भोपद्रव है।
#9. पुलाकोदक संकाश स्त्राव -… नपुंसकता का लक्षण है।
#10. अपद्रव्य प्रयोग योनिव्यापद हेतु आचार्य ने वर्णन किया है।
#11. क्षत्रिय द्वारा काम्येष्टी यज्ञ में चर्म प्रयुक्त होते है।
#12. It is major source of progesterone after first 12 weeks of pregnancy.
#13. गर्भिणी स्त्री का दक्षिण अक्षि महत्त्व होनेपर गर्भ लिंग होता है ।
#14. In ovarian cyst sign is present
#15. Acute pelvic inflammation is found in…….
#16. मध्यनिबड़ा’ योनि होती है
#17. माधवनिदान नुसार अण्डली यह सुश्रुत का योनिव्यापद है।
#18. अपतर्पण से होनेवाले सूतिका रोग होते है ।
#19. नवम मास में ओज अस्थिर होता है। ऐसा इस आचार्य ने कहा है।
#20. Match the following – a) Hegars sign b) Chloasma c) Lighting >> i) 24 wk ii) 38 wks iii) 6-10wk
#21. भगस्याधः स्त्रिया बस्ति… गर्भाशय स्थित ।
#22. स्थिर शरीरस्य पात…. ।। सु.नि.
#23. स्त्री में स्तनरोग के हेतु एवं संख्या इस व्याधि के समान है।
#24. पीनस दूषित स्तन्यपान से होने वाला व्याधि है।
#25. ‘छर्दि निश्वास निग्रहात ‘….. योनिव्यापद का प्रमुख हेतु है
#26. Principle oestrogen secreted by ovary is
#27. निम्न अवस्था में योनिपथ में गुडशुण्ठी द्वारा लेपन किया जाता है।
#28. संग्रह के अनुसार ऋतुकाल…. दिन का होता है।
#29. विवर्तनमुपदिश्यते प्रागव्यक्तिभावाद्’ प्रयुक्तेन
#30. पुष्यानुग चूर्ण का रोगाधिकार है।
#31. सुश्रुतनुसार गर्भिणी को बस्ति…. मास में दे।
#32. नष्टार्तव होने वाली स्त्री को कहते है ।
#33. किक्वीस उत्पत्ति में… दोष उत्पीडित होकर उर में दाह उत्पन्न करते हैं।
#34. मूढगर्भ की गतियाँ है ।
#35. Global Ayurveda Exccessive bleeding disorder is
#36. स्त्री शरीराश्रित स्तनमुल यह मर्म प्रकार है।
#37. असाध्य जातिहारिणी के भेद है।
#38. Treatment advised in fibroid uterus is
#39. घृतपान प्रथमतः शस्यते । इस व्याधि की चिकित्सा है
#40. प्रसव समय गर्भ का शिर उपर रहकर योनि में प्रवेशित होना….. गति है।
#41. .. हृदिस्थानां विवृतत्वादनन्तरम् । चतुरात्रात्रिरात्राद्वा स्त्रीणां स्तन्यं प्रवर्त्तते ॥ सुश्रुत
#42. स्तनौ, वृषण यह दो मूलस्थानवाले स्त्रोतस का नाम बताएं।
#43. चरकाचार्य के नुसार गर्भिणी परिचर्या में पांचवे मांस में…… सेवन करें।
#44. गर्भोनिर्गमे… प्रवाहण करने का उद्देश किया है।
#45. गर्भश्चचिरात किंचित स्पंदतेद्यकुक्षिश्चवृध्दोऽपि परिहियते ।
#46. सुश्रुतनुसार…. इसकी चिकित्सा लीनगर्भ समान करें।
#47. माधव निदान नुसार गर्भस्राव….. मास तक होता है।
#48. बालक में होनेवाली अस्थि विकृति यह महाभूत प्रधान है।
#49. Mala-D oral pills contains.
#50. चरकाचार्य ने ‘ब्राह्मी’ द्रव्य का वर्णन गर्भस्थापन गण में
#51. अकाले वाहमानाया गर्भेण पिहितो अनिल…. योनिव्यापद हेतु है ।
#52. Is the organ of coapulation
#53. मृग, अजादि का रक्तपान इस योनिव्यापद की चिकित्सा में वर्णित है।
#54. रजोकालिन चतुर्थ दिन में मैथुन करने पर उत्पन्न गर्भ
#55. Oral contraceptive pills are started on…… day of menstrual cycle.
#56. Choose correct statement regarding umbilical cord. a. Contain 2 vein b. Contain 2 arteries c. Length of cord is 50 cm d. Contain 1 artery
#57. स्तेन……|
#58. प्रदरव्याधि चिकित्सार्थ आखुपुरीषसदुग्ध चिकित्सा निर्देश दिया है।
#59. यथोचितकालादर्शनमल्पता वा योनि वेदना च । लक्षण
#60. हृद्वस्त्योरन्तरे ग्रंथिः संचारी यदि वाऽचल चयापचयवान् वृत्त सः ।
#61. सुतिकागार का दरवाजा….. दिशा में है। (चरक)
#62. उदावर्ता योनिव्यापद के लक्षण ….तुल्य है।
#63. मूत्रपुरीष गंधी आर्तव दोष प्रधान है।
#64. सूतिका स्त्री को पटबंधन करने का उद्देश है।.
#65. गर्भोपुष्टो यदा वर्षगणैरपि स्यात। च
#66. किंशुकोदक समान स्त्राव…. प्रदर का लक्षण है।
#67. सुश्रुत नुसार इस आयु में रजोनिवृत्ति होती है।
#68. चरक, सुश्रुत, बाग्भट नुसार स्त्री श्रोणि के अस्थि है। .
#69. तदेवातिप्रसंगेन प्रवृत्तमनृतावपि ….. लक्षण है।
#70. …..चिकित्सार्थ आमगर्भ का उपयोग करना चाहिए।
#71. प्रसुता तीन दिन बाद सेवन करें।
#72. रक्तप्रदर के कारण और क्षीरदोष सामान्य कारण समान होते है।
#73. प्लवते अंभसी यह दुष्ट स्तन्य लक्षण है।
#74. सुश्रुताचार्यनुसार स्त्री में बहिर्मुख स्त्रोतस होते है ।
#75. स्फोटाश्च तीव्रजायन्ते लिंगपाको भवत्यपि’ क्लैब्य है।
#76. संवृत्त’ योनि चिकित्सार्थ कर्म करना चाहिये ।
#77. प्रजातमात्रा स्त्री को प्रथम चिकित्सा दे |
#78. नित्यवेदना योनिव्यापद में पायी जाती है। सुश्रुत
#79. मण्डला…..। योनिवर्णन है।
#80. आचार्य भोजनुसार गर्भपात प्रायः …….. माह बाद होता है।
#81. गर्भ विच्युती के प्रकार है।
#82. Common cause of leucorrhoea is
#83. पित्तज परिकर्तिका में औषधि…. के साथ सेवन करें।
#84. तत्र आदौ स्तन्यशुद्ध धात्री…. प्रपादीत्।
#85. लोहितक्षरा योनिव्यापद…. आचार्य ने वर्णन किया है।
#86. प्राक्ररचणा यह योनिव्यापद सुश्रुताचार्यानुसार दोष प्रधान है।
#87. वाग्भट ने योनिव्यापद का वर्णन इस अध्याय में किया है।
#88. सवात उदीरेत बीज….. रजसायुतम |
#89. आचार्य हारीत और भेल के नुसार रजकाल होता है।
#90. गर्भशल्यहरण में प्रथम कर्म करें।
#91. स्त्री में शस्त्रकर्म करते समय शस्त्र प्रयोग नहीं करना है।
#92. पुष्टौऽन्यथा वर्षगणैः कृच्छ्राताजायते, नैव वा…
#93. कुक्षिश्च वृद्धोऽपि परिहीयते …. का लक्षण | संग्रह
#94. Purperium is period measures about approx
#95. पंचधा प्ररोहति । गर्भ का इस माससंबंधी वर्णन है।
#96. स्तन्य का अंजली प्रमाण है।
#97. अंगमर्दोज्वरः कम्पः पिपासा गुरु गात्रता । शोथ: शुलतिसारौ च …. लक्षणम्।
#98. सुश्रुताचार्य के नुसार प्रसव के कारण है।
#99. भोजनोपरान्त तुरन्त व्यवाय… योनिव्यापद का हेतु है।
#100. गर्भस्तु खलु मातुः पृष्ठाभिमुख उर्ध्वशिरा संकुच्याऽगान्यास्तेन । संदर्भ
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