PTSR MCQ set – 1
#1. पुलाकोदक संकाश स्त्राव -… नपुंसकता का लक्षण है।
#2. सुश्रुताचार्यनुसार लांगलीमुल कल्क का हस्तपादतला पर लेप चिकित्सार्थ करते है |
#3. नाभि सर्वप्रथम उत्पन्न होती है। सुश्रुत
#4. Fishy smell discharge is known as
#5. Life span of the corpus luteumn is….
#6. बीज इति… च.शा. 3-23 चक्र
#7. हृद्वस्त्योरन्तरे ग्रंथिः संचारी यदि वाऽचल चयापचयवान् वृत्त सः ।
#8. निम्न में से शुद्ध स्तन्य लक्षण है।
#9. सृजत्यपत्थमार्गेण सर्पिमज्जवसोपमम् स्त्राव इस प्रदर का लक्षण है।
#10. हरिताल वर्ण स्राव प्रदर का है।
#11. जोडीयाँ लगाये । लक्षण – i) मृतनित्यं ii) पंचमरात्रिहरण iii) न स्पन्दते गर्भ >> जातीहारीणी – a) स्तम्भिनी b) नाकिनी c) वारुणी
#12. Treatment advised in fibroid uterus is
#13. 24 अंगुल प्रमाण है।
#14. अतिभोजन कर व्यवाय करने से उत्पन्न योनिव्यापद है।
#15. सुश्रुत संहिता में सभी योनिव्यापद में प्रातः काल इस द्रव्य का स्वरसपान कराने का विधान है। (सु.उ. 38 / 30 )
#16. प्रतापलंकेश्वर’ रस का रोगाधिकार है।
#17. स्तनरोग……प्रकार के है।
#18. चरकाचार्य नुसार सूतिकागार का द्वार दिशा में होना चाहिये ।
#19. गर्भपात के बाद अर्तिविस्मरणार्थ… का पान करें।
#20. संकुच्याऽगान्यास्तेऽन्तः कुक्षौ । गर्भाशय में गर्भस्थिति……ने वर्णन की ।
#21. अंगुल्या अग्राने प्रसादयेत इस योनिव्यापद की चिकित्सा है।
#22. वामीनी योनिव्यापद में छह रात्री में योनि के बाहर वमन होता है। वाग्भट
#23. चरकानुसार गर्भाधान काल है।
#24. नष्टार्तवा’ कहते है।
#25. विषम दुःख शय्यानां मैथुनात कुपिता अनिलः । आदि कारणों से उत्पन्न योनिव्यापद में मुख्यतः इस दोष की चिकित्सा करनी चाहिए।
#26. संग्रहाकारानुसारं मूढगर्भ की गतियाँ है ।
#27. तक्रारिष्ट प्रयोग इस स्तनरोग की चिकित्सा है।
#28. Palmer sign is present at …….. weeks of pregnancy
#29. वरणबंध प्रयोग करें।-
#30. असृग्दर व्याधि में चिकित्सा करे ।
#31. द्रोणीभुतउदरं लक्षण से… गर्भ अनुमान करें । सुश्रुत
#32. तक्रारिष्ट इस स्तन्य दोष चिकित्सार्थ प्रयुक्त होता है।
#33. स्तेन……|
#34. नष्टार्तवा स्त्री को सुश्रुत ने कहा है।
#35. पुष्यानुग चूर्ण का बाल्हीक द्रव्य याने है।
#36. सुश्रुत के अनुसार ऋतुकाल होता है।
#37. मक्कल व्याधि दोष प्रधान है
#38. गर्भश्चचिरात किंचित स्पंदतेद्यकुक्षिश्चवृध्दोऽपि परिहियते ।
#39. स्फुरद्भुजकुचश्रोणिनाभ्यूरूजघनस्फिकाम् ।… का लक्षण है।
#40. Common cause of IUGR is
#41. उदावर्ता योनिव्यापद का लक्षण है।
#42. सुश्रुतनुसार पृथकपर्ण्यादिसिध्दम घृत सेवन…. मास में करें।
#43. स्तन्य का अंजली प्रमाण है।
#44. This episiotomy is commonly used
#45. सूतिका ज्वर के प्रकार है।
#46. Drug of choice in post pill amenorhoea
#47. रजोकालिन चतुर्थ दिन में मैथुन करने पर उत्पन्न गर्भ
#48. मद्य निंब गुडूची के साथ…. असृग्दर की चिकित्सा करें।
#49. ……. स्तनयो: तासा यौवने परिवृद्धि । पेशियाँ है ।
#50. तदेवातिप्रसंगेन प्रवृत्तमनृतावपि ….. लक्षण है।
#51. दौहृद अवमान से गर्भ होता है।
#52. अंगमर्दोज्वरः कम्पः पिपासा गुरु गात्रता । शोथ: शुलतिसारौ च …. लक्षणम्।
#53. सर्वेषामेव रोगानां ज्वरः कष्टतमो मत। संदर्भ
#54. परिप्लुता योनिव्यापद… सम है।
#55. परिहियमाणो गर्भः चिरात किंचित स्पंदते। सं. शा. 4/13
#56. बीजात् न विन्दति सुश्रुत के इस योनिव्यापद का लक्षण है।
#57. सुखप्रपानौ विशेषण प्रयुक्त होता है।
#58. Is the warning sign of toximia if weight gain is
#59. ……..is the average age of menarch
#60. सुश्रुतनुसार गर्भ में गौर वर्ण का कारण है।
#61. शुक्रदोष चिकित्सार्थ कफ आधीक्य हो तो प्रयोग न करें।
#62. प्रसूता को …….दिन बाद मांस सेवन देना चाहिए
#63. रजःकाल में प्रधान दोष होता है।
#64. Third degree placenta previa is
#65. नवम मास में ओज अस्थिर होता है। ऐसा इस आचार्य ने कहा है।
#66. सुश्रुताचार्यनुसार स्त्री में बहिर्मुख स्त्रोतस होते है ।
#67. स्थिरत्वं आपघते गर्भ. …. मांस का वर्णन है।
#68. नहि… दृते योनिर्नारीणा सम्प्रदुषायन्ति ।
#69. सन्निपातिक प्रदर एवं के हेतु समान है।
#70. कुर्यात विण्मूत्रसंगार्ति शोष योनि मुखस्य च । योनिव्यापद है।
#71. वातदूषित स्तन्य प्राय रसात्मक होता है।
#72. दारुण व्यायाम वर्जनं हि गर्भिण्याः सततमुपदिश्यते, विशेषश्च प्रजनन काले ।
#73. धातुव्युहन’ इस पंचमहाभूत का कार्य है।
#74. अकाले वाहमानाया गर्भेण पिहितो अनिल…. योनिव्यापद हेतु है ।
#75. सूतिकाषष्टी इस ग्रह से संबंधित है।
#76. भगस्याधः स्त्रिया बस्ति… गर्भाशय स्थित ।
#77. तत्….. भवेद्वातात क्षीप्तचं प्लवते ऽमभसि । दुष्ट स्तन्य है।
#78. Blood losses during PPH is
#79. प्रतिमासी रजस्राव होनेवाली स्त्रियों को विशेषतः यह व्याधि नहीं होती।
#80. सुश्रुताचार्यनुसार रक्तज योनिव्यापद की संख्या है।
#81. विष्कंभ मूढगर्भ चिकित्सार्थ होता है।
#82. भग को स्मरमंदिर कहा है।
#83. स्त्रिणा गर्भाशय….। सु.शा. 5/8
#84. जले चाप्यव सीदति… दोष प्रधान स्तन्य है।
#85. …….is the surgical management of tubal pregnancy.
#86. MTP act not allow termination of pregnancy beyond
#87. मूढगर्भ पर शस्त्रकर्म…. इस शास्त्र की सहायता से करना चाहिए।
#88. समीरणा नाड़ी पर वीर्य पात होने से… गर्भ निर्माण होता है।
#89. मण्डल आकार योनि का परिणाम होता है।
#90. स्त्री शरीर में अतिरिक्त पेशियों की संख्या है।
#91. ……..गुल्माश्रया नृणापार्श्वह्वन्नाभिबस्तय ।
#92. किंशुकोदक समान स्त्राव…. प्रदर का लक्षण है।
#93. Asymmetrical enalargement of uterus is seen in sign of pregnancy
#94. गर्भोदक उत्पत्ति भेद से प्रकार का होता है।
#95. पविष्टक के प्रकार आचार्य ने वर्णन किये है।
#96. तुंबीपत्र व लोध्रा समभागानकारयेत । चिकित्सा है।
#97. सुश्रुतनुसार मूढगर्भ निर्हरणार्थ शस्त्र प्रयोग करते हैं।
#98. लम्बायोनि है।
#99. Ligamentum teres is the residue of
#100. Total weight gain in pregnancy is.
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