Padarth Vijnanam Set – 6
#1. एकदेशापकर्षन यथा’ इस का संबंध इस तंत्रयुक्तिसे है ।
#2. प्रकृतिविकृति कितनी है?
#3. न्यायदर्शन के रचयिता है।
#4. यह अयथार्थ ज्ञान का प्रकार है ।
#5. पृथ्वी महाभूत के प्रशस्तपादोक्त गुण है ।
#6. स्वर्णादि धातु गत तेज निम्न में से है ।
#7. . हेतुसाध्ययोः अविनाभाव संबंध …।
#8. चरकानुसार शब्द के प्रकार है।
#9. ककुभ निम्न में से इसका पर्याय है ।
#10. चरक नुसार हस्त इस कर्मेन्द्रिय का कार्य है ।
#11. षडदर्शन समुच्चय के लेखक हैं।
#12. प्रसिद्ध साधर्म्यात साध्य साधन — । (न्यायदर्शन)
#13. तर्क संग्रह के अनुसार प्रत्यक्ष प्रमाण के प्रकार है ।
#14. विशेषस्तु पृथकत्वकृत् । यह निम्न में से है।
#15. विचार्य’ इसका समावेश मान के में होता है ।
#16. प्रकृति – विकृति धर्म कुल कितने तत्त्वों में होता है ?
#17. संहतपरार्थत्वात्’ से पुरुष तत्त्व का / की स्पष्ट होता है।
#18. काव्यशास्त्र सम्मत प्रमाणों की संख्या है।
#19. जलकर्षण बीतर्जुसंयोगात् सस्यसंभवः । यह इस प्रमाण का उदाहरण है ।
#20. घट के निर्माण में दण्ड, चक्र, कुंभकार, ये कौनसे कारण है ?
#21. तर्क के भेद है।
#22. सत्त्वरजो बतुलो ।
#23. औलूक्य दर्शन कहलाता है।
#24. खलु तक युक्त्यपेक्षः ।
#25. न्यायदर्शन में अनुमान के भेद है।
#26. अयुतसिद्ध संबंध अर्थात् ……….।
#27. समवायी तु निश्चेष्टः कारणं गुणः । यह व्याख्या– ने बतायी है ।
#28. लवण रस की उत्पत्ति में यह महाभुत भाग लेता है ।
#29. हेत्वाभास का प्रकार है।
#30. आत्मगुण कितने है ?
#31. योगदर्शन निम्न में से इस वाद से सम्मत है।
#32. सांख्य दर्शनकार हैं।
#33. सूत्तपिटक के कुल कितने भाग है ?
#34. प्रभाकर के अनुसार प्रमाण कितने है ?
#35. पंचतन्मात्राओंकी उत्पत्ति इस अहंकार से हुई है ।
#36. कौटिलीय के अनुसार तंत्रयुक्ति है ।
#37. मृत्यु को मोक्ष और काम को पुरुषार्थ इस दर्शन ने माना है।
#38. अचेतन द्रव्यों में होनेवाली हलचल . … यह कर्म है ।
#39. नियमन निम्न में से इसका कर्म है।
#40. वैशिषिक दर्शन के अनुसार आकाश का लक्षण है ।
#41. . प्राच्यादि व्यवहार हेतु …. ।
#42. प्रत्यक्ष, शब्द ये दो प्रमाण किसने बताये है ?
#43. अधिकरण अवयव कितने है ।
#44. दुःख कितने प्रकार का होता है । (सांख्य)
#45. अभाव पदार्थ किसने बताया है ।
#46. तर्कसंग्रह के अनुसार कारण के प्रकार है ।
#47. काल में प्रशस्तपादोक्त गुण है।
#48. सुख दुःख गुण है।
#49. आकाश की उत्पत्ति हुयी है।
#50. . पृथ्वी में गुण संख्या है।
#51. आद्यपतनस्य असमवायि कारणं …।
#52. अविद्या के प्रकार है ।
#53. शास्त्र की त्रिविध प्रवृत्ति में इस का समावेश नहीं है ।
#54. सुख-दुख का कारण इसके अधीन होता है ।
#55. योगदर्शन ने सांख्यदर्शन से यह तत्त्व अधिक माना है।
#56. आदान’ यह इस कर्मेन्द्रिय का कर्म है।
#57. अपृथक्भावो भूम्यादिनां गुणैर्मतः ।
#58. द्वेष इस गुण का लक्षण है ।
#59. माध्यमिक मत इस बौद्ध संप्रदाय को कहते है ।
#60. मात्राकालाश्रयाः…. । (चरक)
#61. तत्र प्रत्यैकतानता । (पा.यो.द.)
#62. क्रियाशून्यता यह इस गुण का धर्म है ।
#63. यथार्थ अनुभवः ।
#64. अक्रियावादी दर्शन कितने है ।
#65. ज्योतिष्य शास्त्र के अनुसार विद्युत के प्रकार है ।
#66. नाम यत् प्रतिज्ञातार्थ साधनास हेतुवचनम् ।
#67. मन की वृत्ति है ।
#68. तर्कविद्या अर्थात् ….. ।
#69. जैनोक्त तत्व है ।
#70. प्रत्यक्ष प्रमाण किसने बताया है ।
#71. प्रकृति – पुरुष में वैधर्म्य है।
#72. आद्यपतनस्य असमवायी कारणं….।
#73. बौद्धदर्शन में ……… प्रमाण वर्णित है ।
#74. या कलनात् सर्व भूतानां स कालः परिकीर्तितः । संदर्भ ?
#75. नवन्याय’ इस सम्प्रदाय की शुरुवात ……. ने की।
#76. यस्य द्रव्यस्य विवरणे शक्तिः स । (हेमाद्रि)
#77. अभाव के प्रमुख प्रकार है ।
#78. उभयगुण (मूर्त और अमूर्त) कितने है ?
#79. गाय के जैसी वनगाय’ अर्थात् … उपमान है ।
#80. उपनिषदों की कुल संख्या कितनी है ।
#81. निम्न में से ये गुण चिकित्सा सिद्धि के उपाय है ।
#82. ऐतिह्य प्रमाण अर्थात….. प्रमाण
#83. तर्कसंग्रह पर अन्नभट्ट की टीका है ।
#84. आनन्द’ यह कर्म इस इन्द्रिय का है ।
#85. द्वैतवात निम्न में से किसने माना है ?.
#86. अनुमान परिक्षा-विज्ञानं (चरक)
#87. असमवायीकारण है।
#88. क्रियायोग में निम्न में से इसका समावेश होता है ।
#89. वैशेषिकोक्त प्रथम पदार्थ है ।
#90. भट्टारहरिश्चंद्र के अनुसार सामान्य के प्रकार है ।
#91. वेदना का अधिष्ठा है ।
#92. बर्फ (हिम) को स्पर्श किये बिना उसकी शीतलता का ज्ञान होना — यह लक्षण है ।
#93. न्यायदर्शन के अनुसार हेत्वाभास के प्रकार है ।
#94. अचेतन तथा क्रियावान है।
#95. आयुर्वेद के अनुसार अर्थापत्ति का समावेश इसमें होता है?
#96. चेष्टा प्रमाण का समावेश इस प्रमाण में होता है ।
#97. विष्णुपुराण के अनुसार आत्मा के प्रकार है ।
#98. मैं गुंगा हुँ’ ऐसा बोलकर बताना यह कौनसा तर्कप्रकार है।
#99. एकत्व ब्रह्म और विवर्तवाद को यह दर्शन मानता है ।
#100. अधर्मजन्यम् प्रतिकूलवेदनीयं…. । (प्रशस्तपाद)
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