Padarth Vijnanam Set – 2
#1. कारण से कार्य का अनुमान करना यह अनुमान है ।
#2. चरक नुसार हस्त इस कर्मेन्द्रिय का कार्य है ।
#3. यह विष्णुवाची पद है ।
#4. उभयगुण (मूर्त और अमूर्त) कितने है ?
#5. त्रिविध अंतःकरण में इसका समावेश नहीं होता ।
#6. . राशिपुरुष कितने तत्त्वात्मक होता है ?
#7. बार्हस्पत्य ये इस दर्शन के रचयिता है।
#8. लौकिक कर्म के प्रकार है ।
#9. अतीतादि व्यवहार हेतुः –1 (तर्कसंग्रह)
#10. अष्टांगसंग्रह के अनुसार तंत्रयुक्ति है ।
#11. एक द्रव्यम् अगुणं संयोगविभागेषु अनपेक्ष करणं इति… ।
#12. अरुणदत्त के अनुसार अर्थाश्रय है ।
#13. आत्मा को अतिवाहिक पुरुष किसने कहा हैं ।
#14. अपृथक्भावो भूम्यादिनां गुणैर्मतः ।
#15. अनुबंध चतुष्टय में. का समावेश नहीं होता ।
#16. व्याप्ति विशिष्ट पक्षधर्मता ज्ञानं …………. ।
#17. तेज महाभूत के प्रशस्तपादोक्त गुण …. है ।
#18. पौराणिकों ने प्रमाण माने है ।
#19. तैत्तिरिय उपनिषद के अनुसार पृथ्वी महाभूत की उत्पत्ति इस से हुई।
#20. योगदर्शन निम्न में से इस वाद से सम्मत है।
#21. चरकोक्त दशाविध परिक्ष्य भाव में से धातुसाम्यता निम्न में से है।
#22. सुख दुःख गुण है।
#23. चरक के नुसार अहेतु है ।
#24. भट्टार हरिश्चंद्र के अनुसार अर्थाश्रय है ।
#25. त्रिगुणों के परस्पर संबंधों का स्पष्टिकरण निम्न में से इसके द्वारा किया है ।
#26. निम्न में से नास्तिक दर्शन नहीं है।
#27. तर्कसंग्रह ग्रंथ के रचयिता है।
#28. पिठरपाकवाद माना है।
#29. जडबाद – दर्शनसम्मत है।
#30. निम्न पर्यायों में से अतिन्द्रियग्राह्य गुण है ।
#31. भावप्रकाशोक्त जलमहाभूत का भौतिकगुण है ।
#32. अनुमान प्रमाण अवस्थानम् ……….।
#33. ‘वृक्ष पर पक्षी का बैठना’ यह इस संयोग प्रकार का उदा. है ।
#34. प्रत्यक्ष ज्ञान के बाधक कारणों में इसका समावेश नहीं होता।
#35. न्यायदर्शनोक्त अनुमान प्रमाण के प्रकार है।
#36. नैयायिक प्रमाणविचार का ने स्वीकार किया है ।
#37. कौटिलीय के अनुसार तंत्रयुक्ति है ।
#38. बौद्धदर्शन में ……… प्रमाण वर्णित है ।
#39. चेष्टा प्रमाण का समावेश इस प्रमाण में होता है ।
#40. चिकित्सासिद्धि के उपाय’ निम्न में से है ।
#41. प्रकृति – पुरुष में वैधर्म्य है।
#42. सार्थ गुण निम्न में से है ।
#43. निम्न में से ये जैनोक्त प्रमाण है ।
#44. यह मूर्तद्रव्य नहीं है ।
#45. आद्यपतनस्य असमवायि कारणं …।
#46. काव्यशास्त्र सम्मत प्रमाणों की संख्या है।
#47. पदार्थधर्मसंग्रह’ इस ग्रंथपर श्रीवत्स द्वारा टीका है ।
#48. विष्णुपुराण के अनुसार आत्मा के प्रकार है ।
#49. निम्न में से यह मन का प्रधान कर्म है ।
#50. समस्त विश्व को जीवन प्रदान करने वाला जल है ।
#51. प्रमाण के पर्याय हैं।
#52. नवन्याय’ इस सम्प्रदाय की शुरुवात ……. ने की।
#53. हेत्वाभास का प्रकार है।
#54. इंद्र देवता की दिशा है ।
#55. लिंगशरीर तत्त्वात्मक होता है ।
#56. निम्न में से पंचमहाभूत का समावेश है ।
#57. लवण रस की उत्पत्ति में यह महाभुत भाग लेता है ।
#58. मनोव्याकरणात्मकम् | यह मन का लक्षण – ने बताया है।
#59. केवल अद्वैतवाद इस आचार्य ने बताया है ।
#60. भावाभ्यासनम् ……………… शीलनम् सततक्रिया ।
#61. . मध्वाचार्य ने द्रव्य बताये है ।
#62. व्याघात’ निम्न में से इसका प्रकार है ।
#63. चक्रपाणि ने इन गुणों को चिकित्सोपयोगी गुण कहा है।
#64. सुश्रुत के अनुसार पदार्थ है ।
#65. मात्राकालाश्रयाः…. । (चरक)
#66. वस्य द्रव्यस्थ विवरणे शक्तिः स ……
#67. वैशेषिक दर्शन में कर्म के प्रकार हैं।
#68. अक्रियावादी दर्शन कितने है ।
#69. वैशेषिक सूत्र इस ग्रंथ में कुल अध्याय है ।
#70. का रूप भास्वर शुक्ल है ।
#71. द्वैतवात निम्न में से किसने माना है ?.
#72. ज्ञानाधिकरणम्
#73. विसर्ग कार्य है।
#74. न्याय दर्शनोक्त पदार्थ कितने है ?
#75. तैजस और वैकारिक अहंकार से इसकी उत्पत्ति हुई है ।
#76. रज व तम गुणों से मुक्त व्यक्ति को कहते है ।
#77. प्रमेय के कुल प्रकार हैं।
#78. भट्टारहरिश्चन्द्र ने सामान्य के भेद माने हैं-
#79. पदानाम् अविलम्बेन उच्चारणं । (तर्कसंग्रह)
#80. पंचीकरण सिद्धांत इस दर्शन ने बताया है ।
#81. अंतःकरण चतुष्टय में इसका समावेश नहीं होता ।
#82. काष्ठा’ निम्न में से किसका पर्याय है?
#83. व्याप्तिविशिष्ट पक्षधर्मता ज्ञानं– ।
#84. वादविद्या अर्थात्
#85. अययार्थ अनुभव के प्रकार है ।
#86. ब्द की शब्दत्व यह जाती श्रोता को इस सन्निकर्ष से मझती है।
#87. ‘पुनर्जन्म सिद्धि’ का वर्णन चरक संहिता के सूत्रस्थान इस अध्याय में आया है ।
#88. सुश्रुतोक्त आत्म लक्षण कितने है ?
#89. खलु तक युक्त्यपेक्षः ।
#90. वेग, भावना, स्थितिस्थापकत्व ये इसके प्रकार है ।
#91. शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध ये पांचों गुण ….. इस महाभूत में होते है ।
#92. गाय के जैसी वनगाय’ अर्थात् … उपमान है ।
#93. आत्मगुण कितने है ?
#94. हाथ में ध्वज लेकर है वह नेता है’ यह इस लक्षण का उदाहरण है ।
#95. यात्राकरः स्मृतः । (सुश्रुत)
#96. अभाव के प्रमुख प्रकार है ।
#97. शब्द गुण है क्योंकि नेत्र से दिखाई देता है’ यह – असिद्ध हेत्वाभास है ।
#98. द्वैपायन इस दर्शन के कर्ता है ।
#99. सामवेद से संबंधित उपनिषदों की संख्या कितनी है ?
#100. बौद्ध दर्शन के अनुसार द्रव्य है।
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