Padarth Vijnanam Set – 1
#1. माध्यमिक मत इस बौद्ध संप्रदाय को कहते है ।
#2. मन के गुण कितने है?
#3. जैनदर्शनोक्त अजीव सृष्टी के प्रकार है ।
#4. सामान्य गुणों की संख्या है ।
#5. वैशेषिकोक्त प्रथम पदार्थ है ।
#6. मांसमाप्यायते मांसेन। यह इस सामान्य का प्रकार है ।
#7. निम्न में से इसका समावेश पंचक्लेशों में नहीं होता ।
#8. विश्वलक्षणा गुणाः । इस सूत्र का संदर्भ है ।
#9. आचार्य भेल के अनुसार तीन एषणा निम्न में से है
#10. यस्य शमने शक्तिः स – 1 (भा.प्र.)
#11. निम्न में से यह प्राणेन्द्रिय का विषम है ।
#12. क्रियायोग में निम्न में से इसका समावेश होता है ।
#13. विशेषस्तु पृथकत्वकृत् । यह निम्न में से है।
#14. द्वैतवात निम्न में से किसने माना है ?.
#15. प्रत्यक्ष, शब्द ये दो प्रमाण किसने बताये है ?
#16. अधिकरण अवयव कितने है ।
#17. पंगु – अन्धन्याय निम्नदर्शन में मिलता है।
#18. व्याप्ति विशिष्ट पक्षधर्मता ज्ञानं …………. ।
#19. त्रिगुणों के परस्पर संबंधों का स्पष्टिकरण निम्न में से इसके द्वारा किया है ।
#20. इस का समावेश सप्तदश ताच्छील्यादि प्रकारों में नहीं होता।
#21. देह की कर्मशक्ति को बांधनेवाला गुण कौनसा है ?
#22. अचेतन तथा क्रियावान है।
#23. ……… इसके अनुसार मन को संसार की नाभि कहा है।
#24. अंतःकरण चतुष्टय में इसका समावेश नहीं होता ।
#25. व्याघात’ निम्न में से इसका प्रकार है ।
#26. यात्राकरः स्मृतः । (सुश्रुत)
#27. पुरुष निम्न में से है ।
#28. उपमान के प्रकार है।
#29. पृथ्वी पर स्थित जल को कहते हैं।
#30. न्यायदर्शन में अनुमान के भेद है।
#31. न्यायदर्शन के अनुसार हेत्वाभास के प्रकार है ।
#32. कार्य रूप वायु महाभूत का परिणाम है ।
#33. प्रशस्तपाद के अनुसार परत्व के प्रकार है ।
#34. यस्य प्रेरणे शक्तिः स…. । (हेमाद्रि)
#35. ‘पुनर्जन्म सिद्धि’ का वर्णन चरक संहिता के सूत्रस्थान इस अध्याय में आया है ।
#36. ककुभ निम्न में से इसका पर्याय है ।
#37. सूत्तपिटक के कुल कितने भाग है ?
#38. अरुणदत्त के अनुसार अर्थाश्रय है ।
#39. त्रिविध अंतःकरण में इसका समावेश नहीं होता ।
#40. . प्राच्यादि व्यवहार हेतु …. ।
#41. सत्कार्यवाद के कितने मुद्दे है ?
#42. प्रत्यक्ष ज्ञान के बाधक भाव या हेतु है ।
#43. कर्मनीयतीवाद इस दर्शन ने बताया है ।
#44. मैं गुंगा हुँ’ ऐसा बोलकर बताना यह कौनसा तर्कप्रकार है।
#45. वेदान्त की प्रस्थानत्रयी में इसका समावेश नहीं है ।
#46. आदान’ यह इस कर्मेन्द्रिय का कर्म है।
#47. यथार्थ अनुभवः प्रमा, तत् साधनं च प्रमाणम् । इस सूत्र का संदर्भ है ।
#48. मूल प्रकृति की संख्या है।
#49. आद्यपतनस्य असमवायि कारणं …।
#50. निम्न में से यह पश्चिम दिशा की देवता है ।
#51. ……. यह मूर्त द्रव्य नही है ।
#52. एकं द्रव्यं अगुणं संयोगविभागंषु अनपेक्षकारम् इति
#53. जैनदर्शनोक्त तत्त्व “संवर” के प्रकार है।
#54. प्रमेय के कुल प्रकार हैं।
#55. प्रतीची दिशा की देवता …….. है।
#56. सिद्धांत के प्रकार है।
#57. प्रशस्तपादोक्त काल के गुण है।
#58. अतिवाहिक पुरुष का वर्णन …….. इस आचार्य ने किया है
#59. त्रिवर्ग में नहीं आता है।
#60. वैशिषिक दर्शन के अनुसार आकाश का लक्षण है ।
#61. वात्स्यायनोक्त परार्थ अनुमान है ।
#62. इन्द्रियों को भौतिक माना है।
#63. पंचास्तिकाय में इसका समावेश नहीं होता ।
#64. सुख दुःख गुण है।
#65. अग्नि में शीतलता न होना’ यह इस अभाव का उदाहरण है ।
#66. कणादोक्त गुण है ।
#67. स्वर्णादि धातु गत तेज निम्न में से है ।
#68. द्वैपायन इस दर्शन के कर्ता है ।
#69. निम्न में से पंचमहाभूत का समावेश है ।
#70. हेत्वाभास का प्रकार है।
#71. उपमान के प्रकार है ।
#72. तांत्रिककार के अनुसार प्रमाण है ।
#73. अजातवाद किसने बताया ?
#74. आत्मा को अतिवाहिक पुरुष किसने कहा हैं ।
#75. यह मूर्त द्रव्य नहीं है ।
#76. ‘अपथ्य सेवन से हानि नहीं होती’ यह इस शब्द का उदाहरण है ।
#77. तर्कोअनिष्ट प्रसंग: । यह व्याख्या – इस ग्रंथ में वर्णित है। +
#78. तर्कसंग्रह ग्रंथ के रचयिता है।
#79. आत्मगुण कितने है ?
#80. . पुरुषपंचक निम्न में से पुराणोक्त है।
#81. जिज्ञासा नाम ….
#82. कारणभेद से संभाषा के प्रकार है ।
#83. उपनिषद् में इसको अन्नमय कहा गया है।
#84. द्वेष इस गुण का लक्षण है ।
#85. विसर्ग कार्य है।
#86. नयवाद के प्रवर्तक है ।
#87. योगदर्शन निम्न में से इस वाद से सम्मत है।
#88. दशपदार्थशास्त्रनामक ग्रंथ इस दर्शन से संबंधित है ।
#89. घटादि में मान होता है।
#90. उपनिषदों की कुल संख्या कितनी है ।
#91. अपि सदोषमाख्यातं मोहांशत्वात् । (चरक)
#92. पुष्पफलवंतो वृक्षाः । यह सूत्र निम्न में से इसका है।
#93. एक द्रव्यम् अगुणं संयोगविभागेषु अनपेक्ष करणं इति… ।
#94. दुःख कितने प्रकार का होता है । (सांख्य)
#95. निम्न में से आकाश महाभूत का भौतिकगुण है । (चरक)
#96. श्रोत्रेन्द्रिय का द्रव्य है ।
#97. वेदांत की प्रस्थानत्रयी में … का समावेश नहीं है।
#98. अनुवृत्ति प्रत्यय हेतु ……. । (तर्कभाषा)
#99. ‘उपस्थ’ की देवता है ।
#100. शास्त्र की त्रिविध प्रवृत्ति में इस का समावेश नहीं है ।
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