Kriya Sharira MCQ Set – 6
#1. काश्यप संहिता में इस धातु सार के आधे वर्णन के बाद इतर सार का वर्णन लुप्त है।
#2. वातशोणित व्याधि का स्थानसंश्रय इस जगह पर होता है।
#3. अत्याधिक भय से इस स्त्रोतस की दुष्टी होती है।
#4. Which of the following is not an effect of ultravioler radiation?
#5. दोषों से दूषित होनेवाले धातु, मल इस घटक को कहते है ।
#6. ओज एवं तेज के बारह स्थान इस आचार्य ने माने है।
#7. चरक के नुसार अम्बुवह स्त्रोतस इस स्त्रोतस का स्थान है ।
#8. Everything inside the cell membrane except neucleus is called as
#9. Normal sperm count is
#10. अश्व’ के अनुकत्व से इस प्रकृति का ज्ञान होता है।
#11. Organ of corti is found in
#12. Human mitochondria are
#13. Antigens are presents on the surface of
#14. रोगों के प्रमुख कारणों में इसका समावेश होता है।
#15. दीर्घकालानुबंधी’ क्रियाशील है।
#16. अग्रि बिगुणता इस स्त्रोतोदुष्टी का प्रधान हेतु है।
#17. कंठ प्रदेश में चार स्वरवह स्त्रोतस होते है। ऐसा वर्णन इस
#18. निष्ठापाक को कहते है।
#19. वाग्भटानुसार पित्त का शोधन इस माह में करना चाहिये ।
#20. ……..are the sites of protein synthesis in cells
#21. चलते समय संधियों से आवाज आता है।
#22. …….. . चेत समचायी’ किसके लिए कहा है।
#23. Following is the smallest structure of
#24. श्लेष्मरक्तमांसविकारप्रायै….. विकार |
#25. Atrial diastole is…….in sec.
#26. Green colour blindness is called
#27. Which is the action of the GIP from given below.
#28. Find out wrong statement
#29. . मनुष्य के मूत्र परिक्षा में भूतदोष का परिक्षण किया जाता है।
#30. इस धातु आश्रित व्याधि में पंचकर्म से विशेष चिकित्सा है।
#31. चिरजीवी इस प्रकृति का लक्षण है।
#32. धमनीजालसन्ततः ‘ लक्षण है।
#33. कार्श्य स्थौल्य निमित्ता) (सु. सू. 21 )
#34. सुश्रुतनुसार स्वेदवह स्त्रोतस का मूलस्थान है ।
#35. अच्छिद्रगात्रं गूढास्थिलन्धि’ इस धातुसारता का लक्षण है।
#36. तैलबिंदु परिक्षा में मूत्र में मनुष्य कि आकृति तयार होने पर यह दोष होता है।
#37. निम्न में पंचमहाभूत एवं रस का सहि विकल्प चुनिए ।
#38. Decrease in total WBC is termed as
#39. 162. चरकाचार्य नुसार मुख्य रूप से कुल धातु वर्णित है।
#40. तमोगुणप्रधान नाडि है।
#41. वाग्भटनुसार ‘बहुभुज’ लक्षण इस प्रकृति का लक्षण है।
#42. आचार्य वाग्भट के नुसार ‘बल’ का अर्थ है।
#43. मंदविकार’ इस की विशेषता है।
#44. अभिघात और प्रपीडन से स्रोतोदृष्टी होती है।
#45. मार्गशीर्ष ऋतु में यह संशोधन कर्म करना चाहिए ।
#46. Efferent for erection of penis is
#47. अनाहत चक्र का स्थान है।
#48. Among the given find out false sentence
#49. उत्साह इसका कर्म है ।
#50. सांख्य नुसार अहंकार के प्रकार है।
#51. Lateral geniculate body is concerned with
#52. शीतांशु’ जैसा कार्य करनेवाला शरीर का घटक है।
#53. This organ regulates the pH of the body
#54. Known as growth inducer
#55. श्वसन प्रकिया का सविस्तर वर्णन इस ग्रंथ में किया है।
#56. Killer T cells also called as
#57. इस आचार्य ने ओज को ‘पंचरसयुक्त’ कहा है।
#58. पित्त का सविस्तर वर्णन प्रथम इस आचार्याने किया ।
#59. सुश्रुत के अनुसार धैर्य कर्म इस धातु का है।
#60. Total filling phase duration in ventricular diastole is.
#61. Higher levels of ‘HbA1c’ are found in people is more prone to
#62. कुल्माष’ उपयोग इसमें होता है।
#63. पर्याप्तं अभिनिवर्तयति’ इस आहार परिणामकर भाव का कार्य है।
#64. मुहुर्मुहुः प्रवृत्ति’ लक्षण इस अवस्था में होता है।
#65. अग्न्याशय में अग्रि का प्रमाण है।
#66. अधोभुक्त काल में इस दोष की वृद्धि होती है।
#67. तावुभावपि संश्रित्य वायुः पालयति प्रजा संदर्भ
#68. सवृष्टिक’ पर्याय है।
#69. Physiologically decrease of RBC in Pregnancy due to
#70. रक्तक्षय का लक्षण है।
#71. काश्यप नुसार सात्विक एवं राजसिक प्रकतियों की कुल संख्या है।
#72. Peyer’s patches are found in the
#73. All the functions of hypothalamus, Except
#74. The process of formation of RBC is called as
#75. भेल के अनुसार बुद्धिवैशेषिक आलोचक पित्त का स्थान होता है ?
#76. सुश्रुतनुसार सभी अवस्थायें एक जैसी होने पर मांससार व मेदसार व्यक्ति में से इस की आयु प्रधान (जादा) होती है।
#77. मेदधातु क्षय का लक्षण है। (सुश्रुत)
#78. अग्न्याशय पित्त का प्रमुख स्थान है।
#79. Presbyopia is more common in age.
#80. रक्तक्षय से होने वाले वातवृद्धि का शमन करने के ….. रस सेवन करने कि इच्छा होती है। (अ.हृ.) लिए…
#81. लवण रस का विपाक है । .
#82. रक्त स्तंभनार्थं श्रेष्ठ उपाय है।
#83. Proto diastolic phase time duration in cardiac cycle is (Ventricular diastole)
#84. अवस्थापाक में उत्पन्न दोषों को कहते है ।
#85. अष्टांग हृदय संहिता में समानवायु का स्थान वर्णित है।
#86. ग्रीष्म ऋतु में वात का संचय इस गुण से होता है।
#87. सुश्रुत के नुसार गलगण्ड यह विकार होता है।
#88. भिन्नती शोषित संघात’ इस रस का कर्म है।
#89. विषारी द्रव्य मुख्यतः इस गुण के कारण पाचन न होते हुये संपूर्ण शरीर मे व्याप्त होते है ।
#90. Deficiency of this vitamin is not known in newborns.
#91. Breast milk is rich with this vitamin
#92. निम्न में से गलत ऋतु-रस संबंध चूनिऐ ।
#93. उरः कंठ विदहति’ इस रस का लक्षण है।
#94. देशांतर गति है।
#95. शारंगधरानुसार मांसधातु का उपधातु है ।
#96. चरकनुसार तृतीय व सुश्रुत नुसार चतुर्थ त्वचा प्रकार मे वर्णित व्याधि है।
#97. सुश्रुत ने शरीर के कुपित दोषों को इस कर्म द्वारा जीतने की बात कही है। (सु.चि.33/3)
#98. चरतो विश्वरुपस्य रूप द्रव्यं तद् उच्यते’ इसके संबंध में कहा गया है।
#99. In which condition Neutrophilia occur……..
#100. उपस्तंभ’ इस पल का कर्म है।
Results



