KB MCQ set – 7
#1. उल्बक व्याधि चिकित्सार्थ वाग्भटने घृत वर्णन किया है।
#2. चूडाकरणीय संस्कार करे।
#3. तत्काल सूतिका’ के पेय को माधव निदान में कहा है।
#4. सुश्रुताचार्य ने बाल ग्रहों का वर्णन किया है।
#5. काश्यप के अनुसार बालग्रह की संख्या है।
#6. चातुर्भद्र कल्प’ इस संदर्भ में आया है।
#7. श्लैष्मिक दुग्ध सेवन से….फक्क की उत्पत्ति है।
#8. नवजात शिशु को चतुर्थ दिन नवनीत का विधान बताया है।
#9. चरकनुसार नाभि नाल कर्तन दुरी पर करे।
#10. घृतपानं प्रथमत: शस्यते स्तनकीलके यह वचन है।
#11. मुषक तैल का प्रयोग गुदभ्रंश में करे। संदर्भ
#12. Letdown reflex is also called as…..
#13. Which phase not occure in moro’s relflex
#14. अन्नप्राशन संस्कार करे। काश्यप
#15. Baby recognize the stranger at month
#16. Baby recognised the mother at
#17. परिभव चिकित्सार्थ प्रधान सिद्धांत है।
#18. वर्चकर्म न कुर्वनित बाला ये च त्रयहात।बालक है।
#19. मध्य प्रवृत्ति से 3 रोग होता है,पानात्यय, विभ्रम एवं……..।
#20. दंततेजोवृद्धि के लिए दंतधावनार्थ उपयुक्त है।
#21. इस व्याधि को German Measles कहते है।
#22. चरकनुसार नाभि विकार नहीं है।
#23. तत्र श्लेषवर्धन द्रव्योपयोग। चिकित्सा है।
#24. कश्यप अनुसार अष्टस्वेद में समाविष्ट है।
#25. असम्यक नाडीकर्तन से होने वाले विकार में प्राय: चिकित्सा करें।।
#26. सप्तविध कषाय कल्पना में ये कल्पना भिन्न वर्णन की। काश्यप
#27. सुश्रुतनुसार नारीस्तन्य का अनुरस होता है।
#28. षटकल्पाध्याय का रोगाधिकार है।
#29. After 3 year,children are best examined in this position
#30. जरायुमात्र प्रच्छन्ने रविरशम्यवंभासिते ……. वर्णन है।
#31. ऋतुनुसार लेहन प्रयोग इस आचार्य की देन है।
#32. चरकनुसार असम्यक नाभि कर्तन से होने वाले व्याधि है।
#33. …वायुस्ताल्वास्थि नामयेत व्याधि है।
#34. Physiological jaundice disappears after
#35. बालक की क्षीरप अवस्था…पर्यत है।
#36. चरकानुसार नामकरण संस्कार के बाद….करे
#37. काश्यपाचार्य ने वेदनाअध्याय स्थान में वर्णन किया है।
#38. Dose of vit K given to newborn is
#39. यवक्षार क्षौद्र प्रतिसारण चिकित्सा व्याधि की है।
#40. दुग्ध धूमवर्ण का हो तो बालक……. होता है।
#41. भावप्रकाश के अनुसार नारीस्तन्य दोषनाशक होता है।
#42. मलोपलेपात स्वेद्वाद्वा गुदे……..। अहिपुतना व्याधि होती है।
#43. बालचातुर्भद्रावलेह का अनुपान है।
#44. काश्यपनसार किचक कषाय मात्रा में दे।
#45. जोड़ियां मिलाएं। व्याधि i) परिभव ii) मातृका दोष iii) तुण्डी iv) विनाम चिकित्सा a) वातघ्न b) वातपित्तहर c) अग्निदीपन d) पित्तश्लेष्महर
#46. तत्: स्निग्धशुक्लमुखेक्षणविसर्ग…… लक्षण है।
#47. काश्यप ने स्त्रोतम माने है।
#48. स्तन्य का वर्ण घृत समान रहा तो बालक होता है।
#49. सुश्रुतनुसार अन्नप्राशन संस्कार……मास है।
#50. काश्यप संहिता में कुल अध्याय है।
#51. द्रोग्धी’ यह विशेषण किसके लिये आया है।
#52. मेदस्वी धात्री में प्रायः चिकित्सा श्रेष्ठ है।
#53. कर्णवेधन के पश्चात कर्ण को तेल से सेचन करे।
#54. True things about Sabin vaccine
#55. कश्यप अनुसार फल प्राशन व अन्नप्राशन मास में करें।
#56. पक्वईष्टिका चुर्ण अभीक्ष्णं गुण्ड्यते शिशु’ हेतु है।
#57. कुंडल व्याधि नाशानाथ तैल उपयुक्त है।
#58. उपशीर्षक व्याधि है।
#59. Common cause of infant death in India is
#60. कुमारी में दंतुपत्ति शीघ्र होती है, क्योंकि
#61. काश्यपनुसार अगस्त्य हरितकी प्रयोग व्याधि में करे।
#62. नानावस्त्रधरा देवी ग्रह के लक्षण है।
#63. ‘न श्राद्ध अर्हति’ दंत का महत्व वर्णन किया है।
#64. Daytime bladder control of baby occurs at
#65. सदाहो रक्तपर्यन्त स्त्वकपाकी तीव्र वेदन:।
#66. Kwashiorkor disease mostly found in age
#67. ‘बालतंत्र’ में ……….ग्रहो का वर्भन मिलता है।
#68. निम्नत: व्याधि में पित्तज व्रण की चिकित्सा करे।
#69. अस्तनात: स्नात रुपश्च स्नातश्च्य अस्नात दर्शन यह वेदना लक्षण है। काश्यप
#70. निम्नत़ बालक लेहन् योग्य है।
#71. निम्न में से……ग्रह का वर्णन सुश्रुत ने किया है।
#72. कुमाराधार के लक्षण होने चाहिए।
#73. मानुष दुग्ध के गुण है।(अ.ह.)
#74. निम्न में से कफज स्थन्यदोष है।
#75. लवण अनुरस दुग्ध इस दोष से दोषित होता है।
#76. पाणिपादास्यरमणीय’ यह इस ग्रह का लक्षण है। (अ. सं.)
#77. नातिउर्ध्व, नातिलंब, नातिकृश ये गुण है।
#78. स्तनदंश आत्रकुजन’ लक्षण से…….. वेदना का ज्ञान होता है।
#79. दन्तोद्भेदगदान्तक रस की मात्रा है। भैषज्य रत्नावली
#80. पटस्वेद का निर्देश…..इस अवस्था में किया है।
#81. काश्यपनुसार याक्ष्य सत्व….गुण प्रधान है।
#82. स्तन्यप्रवर्तन के पूर्व बालक को 2 रे दिन देना चाहिए।
#83. At birth route of administrations of vaccine is deltoid muscle
#84. सुतिका उपक्रम को कौमारभृत्य में समाविष्ट किया।
#85. रासना, कर्कटक, भारंगी चूर्ण +मधु, यह बालक का निंवारक योग है। (हीरात)
#86. Deficiency of……causes marasmus
#87. जायते नयनव्याधि:श्लेष्म लोहित संभव:।
#88. यौवनावस्था वय की अवस्था है।
#89. McLaren classification is related with
#90. काश्यप संहिता के विमानस्थान में अध्याय है।
#91. अधन्य मलिष्ठ दंतुपत्ति प्रकार है।
#92. धमनीना हृदिस्थाना विवृतत्वा दनन्तरम्…….स्तन्य प्रवर्तते।
#93. सुश्रुत अनुसार गृह संख्या है।
#94. Apgar score……..Between is considered as normal
#95. Head Circumference at the age of 7 years
#96. दंतोद्भेद कालीन व्याधि है।
#97. संदशी जातीहारिणी है।
#98. कृष्णकपालीका शुपर्णेन’ का वर्णन शिशु के प्राणप्रयागमनार्थ आचार्य ने किया है।
#99. कर्णवेधन सम्यक ना होने पर अपतानक होता है, इस नाडी के असम्यक वेध से।
#100. निरूद्धप्रकाश व्याधि दोष प्रधान है।.
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