KB MCQ set – 2
#1. ‘न श्राद्ध अर्हति’ दंत का महत्व वर्णन किया है।
#2. परिभवं’ व्याधि है।
#3. संग्रहनुसार नाभि रोग है।
#4. तालुमांसे…..कृद्ध: कुरूते तालुकण्टकम। वाग्भट
#5. कोकीला गुटिका का प्रयोग रोग शर्मनाथ करे।
#6. निम्नत: धात्री गुण में से अयोग्य प्रयाय चुने।
#7. चरकानुसार नामकरण संस्कार के बाद….करे
#8. बालक में छवी हास…. वर्ष तक होती है।
#9. मानुषी जातीहारिणी के….भेद है।
#10. तण्डुलबली होम’ …… बालक के लिए प्रयुक्त होता है।
#11. क्षीरं तत्काल सुताया घनं पियुषमुच्यते।
#12. मासे निष्क्रामध्येवान नमस्कर्तु स्वलंकृतान…….।
#13. असाध्य जातहरिणी है। काश्यप
#14. संज्ञानाशो मुंह: केशलुन्घनं’……ग्रह है।
#15. स्तन्यप्रवर्तन के पूर्व बालक को 2 रे दिन देना चाहिए।
#16. वाग्भट अनुसार स्त्री ग्रह संख्या है।
#17. निरुत्साह नष्ट अग्नि रुधिर स्पृह वेदना लक्षण है।
#18. काश्यप के अनुसार बालग्रह की संख्या है।
#19. ओजसर का विशेष वर्णन काश्यप ने….. अध्याय में किया
#20. Commonest malignancy in child is
#21. गर्भोदक अवमन निम्न में से व्याधि का हेतु है।
#22. साध्य जातीहारिणी है।
#23. Enterobius vermicularis is also called as
#24. कुरण्डव्याधि में दक्षिण वृषणपर शोथ हो तो वेधन करे।
#25. प्रथम 3-4 दिन स्तन के स्त्रवनेवाला स्त्राव है।डल्हण
#26. काश्यपनुसार गर्भिणी दौह्यदयनी होती है।
#27. मानुष दुग्ध के गुण है।(अ.ह.)
#28. नाभिकुंडल व्याधि का वर्णन इस ग्रंथकार ने किया है।
#29. अजगल्लीका का वर्णन सुश्रुत के स्थान में है।
#30. भावप्रकाश के अनुसार नारीस्तन्य दोषनाशक होता है।
#31. वाग्भट के नुसार क्षीरालसक में वमन चिकित्सा दे।
#32. उपशीर्षक रोग का वर्णन किया है?
#33. अष्टांग संग्रह के अनुसार प्रथम शिशु परिचर्या वर्णित है।
#34. इस विषम ज्वर को ‘महाज्वर’ के नाम से जानते हैं।
#35. उत्तफुल्लीका व्याधि…. दोष के कारण होता है।
#36. Vitamin D deficiency in children causes
#37. Sucking Relflex develops at…….weeks of gestation
#38. क्षीर अग्निसोमात्मक है। कथन का संदर्भ
#39. Newborn upto a week after birth is known as
#40. बालचातर्भद्र चुर्ण’ के बारे में गलत सुझाव चयन करें।
#41. त्रिचक्ररथ’ विशेष चिकित्सा है।
#42. स्तन्यावतरण के पहले प्रथम दिन शिशु को त्रिकाल पान कराये।
#43. संशमनीय क्वाथ की मात्रा…..हो।
#44. Haemophilia A in new born is due to deficiency of factor
#45. कफज दोषों में बस्ति प्रयोग करे।
#46. द्रोग्धी’ यह विशेषण किसके लिये आया है।
#47. कुमारी में दंतुपत्ति शीघ्र होती है, क्योंकि
#48. उल्बक व्याधि चिकित्सार्थ वाग्भटने घृत वर्णन किया है।
#49. उत्तफुल्लिका व्याधि के चिकित्सा सूत्र के अनुसार प्रथम यह चिकित्सा करनी चाहिये। (हारीत)
#50. कटुतैल प्रयोग विशेषता व्याधि में करें। का.
#51. नानावर्णपुरीषत्व उदर ग्रण्थय: सिरा ग्रह लक्षण है।
#52. भावप्रकाश के नुसार लुशन पत्र होते हैं।
#53. सुश्रुतनुसार अन्नप्राशन संस्कार……मास है।
#54. काश्यपनुसार कुमारावस्था वयोमर्यादा है।
#55. ग्रहावेश के कारण है।
#56. कौमारभृत्यनाम कुमारभरण धात्रीक्षीरदोष संशोधनार्थ। दुष्टस्तन्यग्रह समुत्थाना च व्याधिनामनपुशमनार्थ।। संदर्भ
#57. 12 साल तक एकांतिक औषधि का प्रयोग ना करें।
#58. कटुकबिंदु अवलेह का उपयोग होता है।
#59. निरूद्धप्रकाश व्याधि दोष प्रधान है।.
#60. ……सर्वरोगायतनश्च।
#61. मोरट का वर्णन आचार्य ने किया है।
#62. इस आकार के कृड़नक शुभ होते हैं।
#63. काश्यपनुसार यौवनावस्था होती है।
#64. वाग्भटनुसार अन्नप्राशन संस्कार इस माह में करे।
#65. वामकर्णछेदन’ इस व्याधि की चिकित्सा है।
#66. पुरीष हरित द्रवं….ग्रह लक्षण।
#67. षटकल्पाध्याय इस रोगहरण के लिये कल्प वर्णित है।
#68. कर्णवेधन सम्यक ना होने पर अपतानक होता है, इस नाडी के असम्यक वेध से।
#69. सिधुसंबंधी सत्य विधान है।
#70. लेहन आयोग्य बालक है।
#71. पुण्डरीक बालग्रह का वर्णन किया है।
#72. सप्तविध कषाय कल्पना में ये कल्पना भिन्न वर्णन की। काश्यप
#73. काश्यप संहिता के विमानस्थान में अध्याय है।
#74. सुखायेंत भृद्धमान,शुनं स्त्रवति सस्योढा
#75. Complication of mumps are
#76. लवण अनुरस दुग्ध इस दोष से दोषित होता है।
#77. 3 व्यक्ति सदा सुखी या दु:खी होते है।
#78. कृमि कुठार रस का भावना द्रव्य है।
#79. वृद्धि, यौवन, संपूर्णता हानि इस अवस्था का विभाजन है।।
#80. निम्नत: कुमारागार का गुण नहीं है।
#81. संदशी जातीहारिणी है।
#82. सुतिका उपक्रम को कौमारभृत्य में समाविष्ट किया।
#83. तत्: स्निग्धशुक्लमुखेक्षणविसर्ग…… लक्षण है।
#84. Baby recognize the stranger at month
#85. कृमिकुठार रस का भावना द्रव्य है।
#86. Incubation period of measles is
#87. क्रीडनक लाख से निर्मित हो क्योंकि……. लाख गुणात्तमक है।
#88. नातिउर्ध्व, नातिलंब, नातिकृश ये गुण है।
#89. निम्नत: अपुर्ण दिन प्रसव का हेतु है।
#90. Hydrophobia यह लक्षण इस ग्रह में पाया जाता है।
#91. विशाख ग्रह की चिकित्सा में गण प्रयुक्त करें।
#92. …. तथा स क्लेशविहितान् प्राणिधान पुनर्लभते।चरक
#93. बालक को…… मांस से भूमि पर बिठाएं। वाग्भट
#94. वेदनाध्याय’लिखने की प्रेरणा दी थी।
#95. घृत तैल वसा गंधी स्तन्य दोष प्रधान है।
#96. गुदकुट्ट’ व्याधि की चिकित्सा….व्रण
#97. ………is called bed wetting drug.
#98. प्रकृतिभुतत्वात’ यह स्थानीय संपत लक्षण…..इस प्रकृति के साथ साम्य दर्शाता है।
#99. अण्डघ्नी जातहारिणी चिकित्सा में है।
#100. काश्यप संहिता के संस्कर्ता है।
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