Ayurved Bulletin 16.12.2024 – Weekly Ayurveda News & Updates

नमस्कार,
आज के आयुर्वेद बुलेटिन में आपका हार्दिक स्वागत है। इस सप्ताह हम आपको आयुर्वेद के क्षेत्र में हो रही ताजगीपूर्ण गतिविधियों, शोध, वनस्पतियों, औषधियों और योग के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे।

न्यूज़ इनसाइट्स

1. 10वें वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो 2024

दिनांक 12 दिसंबर 2024 से 15 दिसंबर 2024 तक देहरादून में आयोजित इस कार्यक्रम का मुख्य विषय “डिजिटल हेल्थ” था। यह आयोजन विश्व स्तर पर आयुर्वेद को प्रोत्साहित करने और इसके डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ।

  • 50 देशों से अधिक प्रतिनिधियों और 1,50,000+ आगंतुकों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
  • उद्घाटन समारोह के लिए भेजे गए अपने संदेश में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुर्वेद की वैश्विक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को सशक्त बनाने की क्षमता पर जोर दिया।
  • “आयुष रसायन: दृष्टिकोण और प्रभाव” विषय पर आधारित JDRAS के विशेष अंक का लोकार्पण 13 दिसंबर 2024 को प्रोफेसर भूषण पटवर्धन और प्रोफेसर रबि नारायण आचार्य द्वारा किया गया।

इस विशेष अंक में शामिल मुख्य विषय:

  • स्वास्थ्य संरक्षण में रसायनों की भूमिका।
  • रोग भार कम करने की क्षमता।
  • आयुर्वेद में साक्ष्य-आधारित शोध को बढ़ावा देना।

आयुर्वेद अनुसंधान ज्ञान

कॉलन कैंसर का आयुर्वेदिक प्रबंधन: एक केस रिपोर्ट

डॉ. वसंत लक्ष्मी मुतनूरी (Department of Dravyaguna, Dr. BRKR Government Ayurvedic College, Hyderabad, Telangana) द्वारा प्रकाशित इस केस रिपोर्ट में 74 वर्षीय महिला के कॉलन कैंसर (Adenocarcinoma) के सफल आयुर्वेदिक उपचार को दर्शाया गया है।

मरीज का प्रारंभिक निदान और लक्षण:

  • लक्षण: मुँह के छाले, वजन में कमी, भूख में कमी, और कब्ज।
  • बाद में कॉलन के Adenocarcinoma का पता चला।

चिकित्सा प्रक्रिया:

  • मरीज ने पारंपरिक कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के बजाय आयुर्वेदिक उपचार का चयन किया।
  • मुख्य उपचार में Catharanthus roseus (सदाबहार) के फूल शामिल थे।
    • खुराक: शुरुआत में 1 फूल प्रतिदिन, जिसे धीरे-धीरे 3 फूल प्रतिदिन तक बढ़ाया गया।
  • आहार प्रतिबंध:
    • कम नमक, चीनी, और मिर्च।
    • आंवला पाउडर, हरे मूंग, पत्तेदार सब्जियाँ, चावल और छाछ।

चिकित्सा परिणाम:

  • 3.4 वर्षों के उपचार के बाद, मरीज का PET-CT स्कैन किसी भी सक्रिय बीमारी या मेटास्टेसिस की अनुपस्थिति की पुष्टि करता है।
  • वजन में वृद्धि और मुँह के छालों से राहत जैसे सकारात्मक परिणाम दिखे।
  • मरीज स्थिर रही, और कोई पुनरावृत्ति नहीं हुई।

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण:

  • आयुर्वेद में कैंसर को ग्रंथि या अर्बुद कहा गया है, जो वात, पित्त और कफ दोषों को प्रभावित करता है।
  • Catharanthus roseus के एंटी-कैंसर गुण और आहार हस्तक्षेप ने लक्षणों को नियंत्रित किया और प्रणालीगत संतुलन बनाए रखा।

निष्कर्ष:

  • आयुर्वेदिक कैंसर उपचार, विशेष रूप से Catharanthus roseus और आहार संशोधन, समग्र देखभाल चाहने वाले मरीजों के लिए एक व्यवहार्य विकल्प है।
  • यह केस रिपोर्ट कैंसर प्रबंधन में आयुर्वेद की प्रभावशीलता को रेखांकित करती है और इस क्षेत्र में आगे अनुसंधान की आवश्यकता को उजागर करती है।

आज का वनस्पति ज्ञान

अपामार्ग (Achyranthes aspera Linn.)

अपामार्ग एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक वनस्पति है, जिसे क्षार बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। यह सर्जिकल प्रक्रियाओं, बवासीर, भगंदर, मोटापा, और ट्यूमर जैसी समस्याओं के इलाज में सहायक है।

सामान्य विवरण:

  • Botanical Name: Achyranthes aspera Linn.
  • Family: Amaranthaceae
  • Sanskृत Synonyms:
    • Markati, Kapi Pippali, Pratyak Shreni, Adhah Shalya, Marga।
    • इन्हें कठिन पकड़ने योग्य और स्पाइकी फूलों के लिए जाना जाता है।

आयुर्वेदिक गुण:

  • Rasa: कटु (Pungent), तिक्त (Bitter)।
  • Guna: लघु (Light), रुक्ष (Dry), तीक्ष्ण (Sharp), सर (Fluidity)।
  • Virya: ऊष्ण (Hot)।
  • Vipaka: कटु (Pungent)।
  • Dosha Prabhava: कफ और वात का शमन।

प्रयोग:

  • Fresh Juice: 5-10 ml प्रतिदिन।
  • Kshara: 0.5-2 g प्रतिदिन।

विशिष्ट योग:

  • Apamarga Kshara: बवासीर, भगंदर।
  • Gorochanadi Gulika: निमोनिया, खाँसी, अस्थमा।

Contra-indications:

  • गर्भावस्था और बच्चों में इसका उपयोग सावधानीपूर्वक करें।

आज का औषधि ज्ञान

अविपत्तिकर चूर्ण (Avipattikar Churna)

अविपत्तिकर चूर्ण का उपयोग मुख्य रूप से गैस्ट्रिक समस्याओं, अम्लपित्त (Acidity), और मल-मूत्र संबंधित समस्याओं के उपचार में किया जाता है।

सामग्री:

  1. त्रिकटु:
    • काली मिर्च, लोंग मिर्च, अदरक।
  2. त्रिफला:
    • हरितकी, विभीतकी, आंवला।
  3. अन्य घटक:
    • मुस्ता, विद लवण, विदंगा, इलायची, तेजपत्ता, लौंग।
  4. मुख्य घटक:
    • त्रिवृत और शर्करा।

मात्रा:

  • 1-5 ग्राम, भोजन के बाद।

संकेत:

  • अम्लपित्त (गैस्ट्रिक समस्याएं)।
  • मल-मूत्र में रुकावट।
  • अग्निमांद्य (पाचन शक्ति में कमी)।

Contra-indications:

  • मधुमेह के मरीजों के लिए अनुशंसित नहीं।

आज का योग ज्ञान

शवासन (Shavasana)

शवासन योग का एक सरल लेकिन प्रभावशाली आसन है। इसे “Corpse Pose” भी कहा जाता है। यह मानसिक तनाव को कम करने और गहरी विश्राम अवस्था में ले जाने में सहायक है।

कैसे करें शवासन:

  1. पीठ के बल लेट जाएं।
  2. हाथ शरीर के बगल में, हथेलियाँ ऊपर की ओर।
  3. पैरों को थोड़ा अलग रखें।
  4. आँखें बंद करें और शरीर को ढीला छोड़ दें।
  5. गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें।

लाभ:

  • तनाव और चिंता को कम करता है।
  • नींद में सुधार करता है।
  • मांसपेशियों को आराम देता है।
  • रक्त संचार को बेहतर बनाता है।

सावधानियाँ:

  • पीठ दर्द से पीड़ित लोग तकिया का सहारा ले सकते हैं।
  • गर्भवती महिलाएं इसे चिकित्सक की सलाह से करें।

निष्कर्ष:

आयुर्वेद ने समय के साथ अपनी प्रभावशीलता को सिद्ध किया है, चाहे वह कैंसर का प्रबंधन, वनस्पतियों का चिकित्सकीय उपयोग, या योग द्वारा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार हो। 10वें वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस जैसे आयोजनों से आयुर्वेद को वैश्विक पहचान मिल रही है, और evidence-based research इसे और अधिक वैज्ञानिक और स्वीकार्य बना रहा है।

आयुर्वेदिक उपचार और जीवनशैली न केवल रोगों के प्रबंधन में सहायक हैं, बल्कि स्वास्थ्य के समग्र विकास के लिए भी अत्यंत प्रभावी हैं। हमें इस प्राचीन धरोहर को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए।

आप स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहें। अगली बार फिर मिलेंगे। धन्यवाद!

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