Last updated on November 18th, 2024 at 03:02 pm
नमस्कार,
आज के आयुर्वेद बुलेटिन में आपका हार्दिक स्वागत है। आइए, इस हफ्ते की प्रमुख खबरों और ज्ञानवर्धक विषयों पर नजर डालते हैं।
न्यूज़ इनसाइट्स
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धन्वंतरि जयंती पर All India Institute of Ayurveda, New Delhi में ९वें राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस का आयोजन किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने उद्बोधन में उल्लेख किया कि वर्तमान में १५० से अधिक देशों में आयुर्वेद दिवस मनाया जा रहा है, जो आयुर्वेद के वैश्विक महत्व को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि पिछले दशक में भारत ने आयुर्वेद के ज्ञान को आधुनिक चिकित्सा के साथ मिलाकर स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नया अध्याय प्रारंभ किया है। उनका मानना है कि किसी राष्ट्र की प्रगति उसके नागरिकों के स्वास्थ्य पर निर्भर करती है।
प्रधानमंत्री ने सात साल पहले अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के पहले चरण के उद्घाटन का उल्लेख करते हुए आज संस्थान के दूसरे चरण का उद्घाटन किया। इसके अलावा, उन्होंने ओडिशा के खोरधा और छत्तीसगढ़ के रायपुर में योग और प्राकृतिक चिकित्सा के लिए दो केंद्रीय शोध संस्थानों की आधारशिला रखी।
चार आयुष उत्कृष्टता केंद्रों का शुभारंभ
प्रधानमंत्री ने चार नए सेन्ट्रे ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की घोषणा की:
- Centre of Excellence for Diabetes and Metabolic Disorders – Indian Institute of Science, Bengaluru
- Centre of Excellence in Sustainable Ayush for Advanced Technological Solutions, Start-up Support and Net Zero Sustainable Solutions for Rasaushadhies – IIT Delhi
- Centre of Excellence for Fundamental and Translational Research in Ayurveda – Central Drug Research Institute, Lucknow
- Centre of Excellence on Ayurveda and Systems Medicine – Jawaharlal Nehru University
इसके अलावा, उन्होंने नागरिकों में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने के लिए ‘देश का प्रकृति परीक्षण अभियान’ की शुरुआत की। वर्तमान में 7.5 लाख पंजीकृत आयुष चिकित्सक देश की स्वास्थ्य सेवा में योगदान दे रहे हैं, और प्रधानमंत्री ने इस संख्या को और बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने आयुर्वेदिक औषधियों की वैश्विक मांग को भी उजागर किया, विशेषकर अश्वगंधा की, जिसकी मांग इस दशक के अंत तक 2.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की संभावना है।
आयुष के विनिर्माण क्षेत्र ने भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी है, जो 2014 में 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर एक दशक में आठ गुना हो गया है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने 12,850 करोड़ लागत की विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास भी किया।
माननीय आयुष राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने ९वें आयुर्वेद दिवस के अवसर पर आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए 30 से अधिक देशों के साथ समझौते की घोषणा की। इस समारोह में श्री जगत प्रकाश नड्डा जी, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तथा केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री ने स्वास्थ्य नीति की विशेषताओं पर चर्चा की।
शैक्षिक घोषणाएँ
दिनांक 28 अक्टूबर 2024 को भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग, नई दिल्ली द्वारा National Eligibility cum Entrance Test for Pre Ayurveda Program (NEET-PAP) संबंधी अधिसूचना जारी की गई है। यह एक रेजिडेंसियल स्नातक कार्यक्रम है जिसमें 2 वर्ष का प्री-आयुर्वेद, साढ़े चार वर्ष का बीएएमएस और एक वर्ष की अनिवार्य रोटेटरी इंटर्नशिप शामिल है। यह पाठ्यक्रम आयुर्वेद गुरुकुलम नामक नवीन संस्थानों में संचालित होगा, जो केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जनकपुरी नई दिल्ली से संबंधित और मान्यता प्राप्त होंगे। मौजूदा आयुर्वेद संस्थानों को गुरुकुलम में परिवर्तन की अनुमति नहीं होगी। विस्तृत जानकारी के लिए नीचे की फाइल का अध्ययन करें।
हरियाणा पीएससी ने आयुर्वेद मेडिकल ऑफिसर के चयन हेतु HPSC subject knowledge test 17 नवंबर 2024 को आयोजित की जाएगी। प्रवेश पत्र जारी होने के पश्चात आयोग की वेबसाइट से लॉगिन कर प्राप्त किए जा सकेंगे।
UPSC ने मेडिकल ऑफिसर आयुर्वेद की लिखित परीक्षा 22 दिसंबर 2024 को आयोजित की है। इस परीक्षा की तैयारी हेतु आयुर्वेद भारती इंस्टिट्यूट ने सीमित 45 दिवसीय निःशुल्क ऑनलाइन कोचिंग की शुरुआत की है, जिसकी लाइव क्लासेज 4 नवंबर 2024 से शुरू होंगी। इस निःशुल्क कोचिंग में सीटों की संख्या सीमित है, आप आयुर्वेद भारती की वेबसाइट से पंजीकरण कर सकते हैं।
आयुर्वेद अनुसंधान ज्ञान
डॉ. सुशील कुमार जांगीड, डॉ. संदीप विष्णु बिनोरकर और डॉ. अरुण कुमार रवि ने बिलियरी कैलकुली के प्रबंधन में आयुर्वेद पर एक सफल अनुसंधान पत्र प्रकाशित किया है। बिलियरी कैलकुली, जिसे पित्त की पथरी भी कहा जाता है, आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में सर्जरी के अलावा कोई उपचार विधि नहीं है। इन डॉक्टर्स की टीम ने एक 34 वर्षीय रोगी पर आयुर्वेदिक पद्धति से सफल चिकित्सा की है। रोगी को आयुर्वेदिक औषधियों के साथ-साथ डाइटरी और लाइफस्टाइल मॉडिफिकेशन के माध्यम से गॉल ब्लैडर स्टोन से छुटकारा मिला। छह महीने की चिकित्सा के बाद, रोगी के सभी लक्षणों में सुधार हुआ और कंट्रास्ट सीटी स्कैन रिपोर्ट पूरी तरह सामान्य आई। यह क्लिनिकल रिसर्च साबित करती है कि आयुर्वेद द्वारा बिना सर्जरी के भी पित्ताशय की पथरी का सफल इलाज संभव है।
वनस्पति ज्ञान
आज हम चर्चा करेंगे एक दिव्य वनस्पति के बारे में जिसका नाम है अगस्त्य।
- Botanical Name: Sesbania grandiflora
- Family: Fabaceae
- Sanskrit Synonyms: Vangasena, Agasti, Agastya
- Classification: Shaka varga (Sushruta), Bhavaprakasha – Pushpa Varga, Shaka Varga
- Parts Used: Flowers, Leaves, Bark, Fruits, Whole Plant
आयुर्वेदिक गुण:
- Rasa: Tikta
- Guna: Laghu, Ruksha
- Virya: Sheeta
- Vipaka: Katu
गस्त्य के Indications:
- श्वास सम्बन्धी विकार (Shwasa and Kasa)
- पाचन तंत्र के विकार
- त्वचा रोग
- ज्वर (Fever)
- अनिमिया (Pandu)
- सूजन सम्बन्धी स्थितियाँ
मात्रा:
- ताजा रस: 10-20 मि.ली., दिन में एक या दो बार
- काढ़ा: 50-100 मि.ली., दिन में एक या दो बार
विशिष्ट योग:
- Agastya Haritaki Avaleha
- Agastya Rasayana
- Agastya Panchagavya Ghruta
औषध ज्ञान
आज की शास्त्रोक्त आयुर्वेदिक औषधि है – अग्नितुण्डी वटी।
अग्नितुण्डी वटी का उपयोग मुख्य रूप से पाचन संबंधी दुर्बलता, भूख न लगना, अपच, गैस्ट्रिक परेशानी और अन्य पाचन समस्याओं में किया जाता है। यह पाचन अग्नि को उत्तेजित करती है और उचित पाचन में मदद करती है। यह टैबलेट डोसेज के रूप में उपलब्ध है।
घटक द्रव्य :
- भैषज्य रत्नावली के अनुसार घटक:
- शुद्ध Suta (Parada) – 1 भाग
- शुद्ध Visha (Vatsanabha) – 1 भाग
- शुद्ध Gandha (Gandhaka) – 1 भाग
- Ajmoda – 1 भाग
- Haritaki – 1 भाग
- Bibhitaka – 1 भाग
- Amalaki – 1 भाग
- Svarjikshara – 1 भाग
- Yava kshara (Yava) – 1 भाग
- Vahni (Chitraka) – 1 भाग
- Saindhava Lavana – 1 भाग
- Shveta jiraka (Jiraka) – 1 भाग
- Sauvarcala Lavana – 1 भाग
- Vidanga – 1 भाग
- Samudra Lavana – 1 भाग
- Shuddha Tankana – 1 भाग
- Shuddha Vishamushti – 16 भाग
- Jambiramla (Jambira) – आवश्यक मात्रा में
- मात्रा एवं अनुपान:
- 1 से 2 टैबलेट्स (125 से 250 मि.ग्रा.), नींबू का रस या गुनगुना पानी
संकेत (Indications):
- अग्निमंद्य (पाचन क्षमता में कमी/भूख की कमी)
- आध्माना (गैस्ट्रिक समस्या और सूजन)
- आमाज्वर (अपच के कारण ज्वर)
- आमावात (रूमेटॉइड अर्थराइटिस)
- उदर क्रिमी (आंतों में कृमि संक्रमण)
कॉन्ट्रा इंडिकेशन्स:
गर्भावस्था और बच्चों में उपयोग से पहले सुरक्षा उपाय अवश्य करें।
योग ज्ञान
आज का योग आसन: उट्ठानमंडुकासन (Uttanmandukasana)
उट्ठानमंडुकासन एक शक्तिशाली योग आसन है जो शरीर को लचीला बनाने के साथ-साथ मानसिक संतुलन भी प्रदान करता है। यह आसन पेट के अंगों को मजबूत करता है और पाचन क्रिया को उत्तेजित करता है।
कैसे करें:
- अपने पैरों को फैलाकर खड़े हो जाएं।
- धीरे-धीरे एक पैर को उठाकर पीछे की ओर मोड़ें और घुटने को छाती की ओर लाएं।
- हाथों को संतुलन के लिए आगे की ओर बढ़ाएं।
- कुछ सेकंड तक इस स्थिति में रहें और फिर धीरे-धीरे वापस आएं।
- दूसरे पैर के साथ भी यही प्रक्रिया दोहराएं।
इस आसन को नियमित रूप से करने से शरीर में लचीलापन आता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
आशा है कि आपको आज का आयुर्वेद बुलेटिन पसंद आया होगा। स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना के साथ, अगली बार फिर मिलेंगे नई जानकारियों के साथ।
धन्यवाद!