Last updated on November 18th, 2024 at 03:05 pm
नमस्कार, आज के आयुर्वेद बुलेटिन में आपका हार्दिक स्वागत है। आइए, इस हफ्ते की प्रमुख खबरों और ज्ञानवर्धक विषयों पर एक नजर डालते हैं।
न्यूज़ इनसाइट्स
यूजीसी नेट में आयुर्वेद जीवविज्ञान का समावेश
५ नवंबर २०२४ को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने एक सार्वजनिक सूचना जारी की है कि दिसंबर 2024 से यूजीसी NET में आयुर्वेद जीवविज्ञान (Ayurveda Biology) को एक विषय के रूप में शामिल किया जाएगा। इस विषय का विस्तृत पाठ्यक्रम आयुर्वेद भारती की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार ने कहा, “यूजीसी-नेट में आयुर्वेद-जीवविज्ञान को एक पेपर के रूप में शामिल करने से इच्छुक छात्रों को आयुर्वेद के संस्कृत ग्रंथों का अध्ययन करने और इन ग्रंथों में निहित गहन ज्ञान को समकालीन जैविक विज्ञान के साथ एकीकृत करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।” उन्होंने आगे बताया, “आयुर्वेद-जीवविज्ञान में अपना पीएचडी कार्यक्रम पूरा करने के बाद, छात्रों को विश्वविद्यालयों में शामिल होकर शोध करने और आने वाली पीढ़ियों को प्रशिक्षित करने का अवसर मिलेगा।”
यह पहल आयुर्वेद को आधुनिक शिक्षा प्रणाली के साथ जोड़ने का एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे प्राकृतिक और समग्र स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन मिलेगा। जेएनयू नई दिल्ली के School of Sanskrit and Indic Studies में आयुर्वेद जीवविज्ञान में ५ वर्षीय एकीकृत बीएससी-एमएससी कार्यक्रम २०२० से चल रहा है, जो इस विषय की महत्ता को दर्शाता है। इसके अलावा, कई प्राइवेट यूनिवर्सिटीज में भी आयुर्वेद जीवविज्ञान में विभिन्न ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स चलाए जा रहे हैं।
आयुर्वेदिक उपचार में स्वास्थ्य बीमा का लाभ
आयुर्वेद से उपचार में अब लोगों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिलेगा। इसके लिए केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय ने अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान पंडोह के सहायक निदेशक डाॅ. राजेश सण्ड ने बुधवार को पंडोह में आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि प्रधानमंत्री आरोग्य योजना के तहत १७० पैकेज शामिल करने के लिए समिति का गठन किया गया है। इसे हरी झंडी मिलते ही आयुर्वेदिक संस्थानों में इसका लाभ मिलना शुरू हो जाएगा।
उन्होंने आगे बताया, “भारतीय फार्माकोपिया आयोग ने इस क्षेत्र में दवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए वन हर्ब वन स्टैंडर्ड पहल को पूरा करने हेतु ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे हर्बल दवाओं का मानकीकरण कर भारत में फार्मास्यूटिकल्स की प्रभावकारिता और सुरक्षा बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।” डाॅ. राजेश ने यह भी बताया कि आयुष मंत्रालय का इरादा हर तहसील स्तर पर आयुर्वेद मेडिकल स्टोर खोलने का है, ताकि निचले स्तर तक सभी को आयुर्वेद के साथ जोड़ा जा सके और उपचार की इस प्राचीन पद्दति का लाभ पहुंचाया जा सके। इसके साथ ही, मंत्रालय की ओर से हर घर आयुर्याेग पहल शुरू की गई है, जिसके तहत फिट इंडिया स्कूल प्रमाणन में योग को मुख्य रूप से शामिल किया जा रहा है।
आयुष मंत्रालय का IIMUN सदस्यों के साथ विशेष सत्र
आयुष मंत्रालय ने भारत के अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्र आंदोलन India’s International Movement to United Nations (IIMUN) के सदस्यों के साथ एक विशेष सत्र की मेजबानी की। मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने इस सत्र में आयुष को वैश्विक मान्यता प्राप्त करने और पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के भारत के समर्पण पर प्रकाश डाला। इससे दुनिया भर में अधिक से अधिक लोगों को इस समृद्ध विरासत को अपनाने में मदद मिलेगी।
अश्वगंधा के टीबी इम्यूनोथेरेपी में उपयोग
आयुष मंत्रालय द्वारा साझा किए गए एक अध्ययन में अश्वगंधा से प्राप्त विथाफेरिन ए को टीबी इम्यूनोथेरेपी में एक आशाजनक सहायक के रूप में उजागर किया गया है। यह अध्ययन दिखाता है कि अश्वगंधा प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं को बढ़ावा देकर, मैक्रोफेज पॉलराइजेशन को प्रोत्साहित करके, प्रतिरक्षा मार्गों को सुदृढ़ करके, मेमोरी टी सेल्स की समृद्धि को बढ़ाकर, और टीबी के पुनरावृत्ति जोखिम को कम करके टीबी के खिलाफ लड़ाई में एक शक्तिशाली प्राकृतिक सहयोगी बन जाती है।
प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना का विस्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को कवर करने के लिए आयुष्मान भारत प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) का विस्तार किया है। इस विस्तार के तहत, वरिष्ठ नागरिकों को व्यापक स्वास्थ्य कवरेज प्रदान की जाएगी, जिससे उनकी स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं को बेहतर तरीके से पूरा किया जा सकेगा।
आयुर्वेद अनुसंधान ज्ञान
Department of Kayachikitsa, J S Ayurveda Mahavidyalaya, Nadiad Gujarat के डॉ. क्रुणाल महेश भाई पटेल, डॉ. मनीष वाडीलाल, एवं डॉ. नरसिंहलाल शिवेनारियन ने एक क्लिनिकल रिसर्च प्रकाशित की है जिसका शीर्षक है:
“Effective Management of Ulcerative Colitis with Udumbara Kwatha and Udumbara Kwatha Basti: A Single Case Report”
अल्सरेटिव कोलाइटिस एक कोलोनिक म्यूकोसा (बड़ी आँत) का रोग है, जिसके कारण का अभी तक सटीक पता नहीं लगाया जा सका है। इस रोग के मुख्य लक्षणों में मलाशय से खून आना, बलगम जैसा चिकना पदार्थ निकलना, और खूनी दस्त शामिल हैं। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में इस बीमारी का कोई स्थायी और सुरक्षित उपचार नहीं है।
इस केस रिपोर्ट में, एक 32 वर्षीय पुरुष जिसे पिछले छह वर्षों से अल्सरेटिव कोलाइटिस का निदान किया गया था, उसकी चिकित्सा की गई। रोगी को उडुम्बर क्वाथ बस्ती, ब्राह्मी घृत का नस्य, और विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों जैसे लोड्र, मुस्ता, नागकेशर चूर्ण, तथा कुटज घन वटी का उपयोग करवाया गया। एक महीने के प्रबंधन के बाद, मल की आवृत्ति कम हो गई, और एक साल के फॉलो-अप ट्रीटमेंट के बाद, रोगी पूरी तरह से ठीक हो गया। चिकित्सा के पश्चात colonic histopathology biopsy में अशस्तित सुधार पाया गया। यह केस रिपोर्ट अल्सरेटिव कोलाइटिस के प्रबंधन में आयुर्वेदिक उपचार के महत्व को दर्शाती है।
वनस्पति ज्ञान
अग्निमंथ (Agnimanth)
अग्निमंथ एक औषधीय वृक्ष है। प्राचीन काल में अग्नि उत्पन्न करने के लिए इसकी लकड़ी के टुकड़ों को एक दूसरे से रगड़ा जाता था। यह जड़ी-बूटियों के दशमूल समूह में से एक है।
- Botanical Name: Premna serratifolia, Premna mucronata
- Family: Verbenaceae
- Sanskrit Synonyms: Arani, Jayamti, Ganakarika, Jaya, Tarkari, Vataghni, Vaijayantika, Sriparna, Nadeyi
- Classification:
- Charaka: Shothahara, Sheetaprashamana, Anuvasanopaya
- Vagbhata: Viratarvadi, Varunadi
- Sushruta: Viratarvadi, Varunadi, Vatasamsamana
- Chemical Constituents: β-sitosterol, Luteolin, Aphelandrine, Premnine, Betulin, Ganiarine, Ganikarine, Caryophellen, Premnenol, Premnaspirodiene
- Parts Used: Root bark, stem bark, leaf
आयुर्वेदिक गुण:
- Rasa (रस): कटु (Pungent), तीख (Bitter), कषाय (Astringent), मधुर (Sweet)
- Guna (गुण): लघु (Light), रुख (Dry)
- Veerya (वीर्य): ऊष्ण (Hot)
- Vipaka (विपाक): कटु (Pungent)
- Prabhava (प्रभाव): वात क्षय (Vata Kapha Shamak)
खुराक:
- पाउडर: 1-3 ग्राम
- काढ़ा: 50-100 मिलीलीटर
- पत्ती का रस: 10-20 मिलीलीटर प्रति दिन, विभाजित डोज में
संकेत (Indications):
- शोनकड़ी लेपा: उरस्तंभ
- बालदी लेपा: ग्रंथि
- अगरुवड़ी तैल: ज्वर
- औषधीय आयस्कृति: स्थूलता और मूत्रकृषा
- पंचमूलादि घृत: शिरोरोग और कर्णरोग
- दशमूलाक्षीरा बस्ती: शूल और प्रवाहिका
- अग्निमंथादि लेपा: वातजशोफा
- दशमूलादि अवलेह: रसायन और गुल्म
औषध ज्ञान
आज की शास्त्रोक्त आयुर्वेदीय औषधि: अजमोदादि चूर्ण
अजमोदादि चूर्ण का उपयोग मुख्य रूप से पाचन संबंधी समस्याओं एवं वात-कफज व्याधियों में किया जाता है। यह औषधि आयुर्वेदिक ज्ञान के आधार पर तैयार की जाती है और इसके गुण और उपयोग विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
सामग्री:
- अजमोदा (Ajamoda): Trachyspermum roxburghianum
- विदंग (Vidanga): Embelia ribes
- सैंधव लवण (Saindhava Lavana): Rock salt
- देवदारू (Devadaru): Cedrus deodara
- चित्रका (Chitraka): Plumbago zeylanica
- पिप्पली मूल (Pippali Moola): Long pepper root
- शतपुष्प (Shatapushpa): Anethum sowa
- पिप्पली (Pippali): Fruit of Piper longum
- मरीचा (Maricha): Black pepper
- हरितकी (Haritaki): Terminalia chebula
- वृद्धदरुका (Vriddhadaruka): Argyreia speciosa
- नागर (Nagara): Ginger
मात्रा एवं अनुपान:
- 1-3 ग्राम, गुनगुने पानी के साथ
संकेत (Indications):
- रूमेटाइड अर्थराइटिस: जोड़ों के दर्द और सूजन
- ऑस्टियो अर्थराइटिस: हड्डियों का दर्द
- पीठ दर्द
- साइटिका: नर्व पेन
- अन्य जोड़ों के रोगों के उपचार में
- वायरल बुखार के बाद: शरीर, मांसपेशियों, और जोड़ों के दर्द की शिकायत
- बर्साइटिस: सूजन संबंधी समस्याएँ
कॉन्ट्रा इंडिकेशन्स:
- गर्भावस्था और बच्चों में उपयोग से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
योग ज्ञान
आज का योग आसन: अर्धचक्रासन (Ardhachakrasana)
अर्धचक्रासन, जिसे Half Wheel Pose के नाम से भी जाना जाता है, एक शक्तिशाली योग आसन है जो शरीर को लचीला बनाने के साथ-साथ मानसिक संतुलन भी प्रदान करता है। यह आसन पेट के अंगों को मजबूत करता है और पाचन क्रिया को उत्तेजित करता है।
कैसे करें:
- सीधे खड़े होकर अपने पैरों को फैलाएं।
- अपने दोनों हाथों को सिर के पीछे रखें।
- धीरे-धीरे शरीर को पीछे की ओर झुकाएं और पैरों को स्थिर रखते हुए कमर को मोड़ें।
- इस स्थिति में कुछ सेकंड तक रहें, फिर धीरे-धीरे वापिस आएं।
- इसे दोहराएं और धीरे-धीरे गति बढ़ाएं।
लाभ:
- पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
- पाचन क्रिया को उत्तेजित करता है।
- मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है।
- रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है।
सावधानियाँ:
- यदि पीठ में किसी प्रकार की समस्या है, तो इस आसन को करने से पहले योग प्रशिक्षक की सलाह अवश्य लें।
- गर्भवती महिलाएं इस आसन को करने से बचें या चिकित्सक की सलाह के बाद ही करें।
आशा है कि आपको आज का आयुर्वेद बुलेटिन पसंद आया होगा। स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना के साथ, अगली बार फिर मिलेंगे नई जानकारियों के साथ।
धन्यवाद!