नमस्कार
आज के आयुर्वेद बुलेटिन में आपका हार्दिक स्वागत है। यह ब्लॉग आयुर्वेद के अद्भुत ज्ञान, अनुसंधानों, और वैश्विक विस्तार की कहानियों के साथ आपके समक्ष प्रस्तुत है। आइए, इस हफ्ते की प्रमुख खबरों और आयुर्वेदिक ज्ञान पर विस्तृत चर्चा करें।
न्यूज़ इनसाइट्स
ब्रिटेन में आयुर्वेद का बढ़ता प्रभाव
ब्रिटेन में आयुर्वेद की लोकप्रियता में अभूतपूर्व वृद्धि हो रही है। ब्रिटेन के आयुर्वेद सेंटर फॉर एक्सीलेंस के प्रमुख अमरजीत सिंह ब्रह्मा ने बताया कि ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
- ब्रिटेन की सर्वदलीय कमेटी ने आयुर्वेद को एक प्रभावी चिकित्सा पद्धति मानते हुए उसकी अनुशंसा की है।
- अगले ५ वर्षों में, ब्रिटेन में १०,००० आयुर्वेद चिकित्सकों की भर्ती की जाएगी।
- वर्तमान में, ब्रिटेन में १०० आयुर्वेदिक संस्थान हैं, जिनकी संख्या अगले पांच वर्षों में ५०० तक पहुंचने की संभावना है।
- विशेष बात यह है कि भारत में प्राप्त आयुर्वेदिक डिग्री को ब्रिटेन में मान्यता मिलेगी, जिससे भारतीय चिकित्सक वहां सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन कर सकेंगे।
देश का प्रकृति परीक्षण अभियान
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने आयुर्वेद दिवस के अवसर पर देश का प्रकृति परीक्षण अभियान की घोषणा की। यह अभियान २६ नवंबर २०२४ (संविधान दिवस) से शुरू होकर २५ दिसंबर २०२४ तक चलेगा। इस अभियान का उद्देश्य लोगों को प्रकृति और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के प्रति जागरूक करना है।
आयुष क्षेत्र में तीव्र वृद्धि की उम्मीद
India Brand Equity Foundation (IBEF) के अनुसार, भारत में २०२४-२०३२ के दौरान आयुष क्षेत्र में १७% की सीएजीआर (CAGR) दर्ज की जाएगी। यह आयुष उत्पादों और सेवाओं की बढ़ती मांग को दर्शाता है।
‘अप्रतिम आयुष’ का विमोचन
२२ नवंबर २०२४ को आयुष मंत्रालय में आयोजित राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठक में, सलाहकार (यूनानी) डॉ. एम. ए. कासमी ने हिंदी में समर्पित मंत्रालय की गृह पत्रिका ‘अप्रतिम आयुष’ का विमोचन किया। यह पत्रिका आयुर्वेद, योग, और प्राकृतिक चिकित्सा की नई पहल और उपलब्धियों का दस्तावेज है।
CCRAS-AGNI की पहल
सीसीआरएएस (CCRAS) ने आयुर्वेद चिकित्सकों को अपनी सफलता की कहानियां और नवाचार साझा करने के लिए आमंत्रित किया है। चिकित्सक अपनी कहानियां ccrasagni@gmail.com पर या निकटतम सीसीआरएएस इकाई में जमा कर सकते हैं।
आज का आयुर्वेद अनुसंधान ज्ञान
आयुर्वेदिक प्रबंधन द्वारा आवर्ती गर्भपात का समाधान
डॉ. दीपक जल्प रूपरेलिया, डॉ. शिल्पा बी. डोंगा, और डॉ. अभय जयप्रकाश गांधी (प्रसूति तंत्र एवं स्त्री रोग विभाग, गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जामनगर) ने पुत्रघ्नी योनिव्यापद (Repeated Pregnancy Loss) के आयुर्वेदिक प्रबंधन पर एक केस रिपोर्ट प्रकाशित की है।
केस का विवरण:
- 29 वर्षीय महिला और उनके पति, जिनका पिछली दो गर्भधारण के दौरान गर्भपात हो चुका था, ने जामनगर स्थित संस्थान में संपर्क किया। महिला को योनि में जलन, घाव, कमजोरी, और अत्यधिक मासिक प्रवाह की समस्या थी।
- रिपोर्ट्स में TORCH संक्रमण पॉजिटिव पाया गया, जबकि पति के वीर्य विश्लेषण सामान्य था।
उपचार:
महिला को आयुर्वेदिक पद्धति से उपचारित किया गया:
- स्नेहपान: बृहत् शतावरी घृत।
- विरेचन: त्रिवृत लेह्य।
- ओरल मेडिसिन्स: फलसर्पी, शंसमनी वटी, कामदुधा रस, चंद्रकला रस।
- गर्भस्थापक योग: शतावरी सिद्ध क्षीरपाक और सारिवा फाँट।
परिणाम:
- तीसरे मासिक धर्म चक्र में महिला गर्भवती हुई।
- महिला ने पूर्णकालिक सामान्य प्रसव के माध्यम से एक स्वस्थ कन्या को जन्म दिया।
- यह केस सिद्ध करता है कि आयुर्वेदिक चिकित्सा हैबिचुअल एबॉर्शन (Repeated Pregnancy Loss) के प्रबंधन में बेहद कारगर है।
आज का वनस्पति ज्ञान: आंवला (Amalaki)
आंवला, जिसे आमलकी के नाम से भी जाना जाता है, आयुर्वेद का एक प्रमुख घटक है। यह फल अपने अद्वितीय स्वास्थ्य लाभों के कारण भोजन और औषधि दोनों के रूप में उपयोगी है।
आयुर्वेदिक गुण:
- Botanical Name: Emblica officinalis or Phyllanthus emblica
- Family: Euphorbeaceae
- Sanskrit Synonyms: Amalaki, Dhatri, Tishyaphala, Divya, Amrutaphala, Vayastha
रासायनिक घटक:
- गैलिक एसिड, कोरिलाजिन, चेलुबैजिक एसिड, पुट्राजीवेन ए, म्यूसिक एसिड।
आयुर्वेदिक गुण:
- Rasa (रस): पांच रस – मधुर, अम्ल, कटु, तिक्त, कषाय
- गुण: गुरु, शीता
- वीर्य: शीता
- विपाक: मधुर
- दोष प्राभाव: त्रिदोषहर
खुराक:
- फलों का पाउडर: 3-5 ग्राम प्रतिदिन।
विशिष्ट योग:
- च्यवनप्राश, धातुपौष्टिक चूर्ण, त्रिफला चूर्ण।
संकेत (Indications):
- वायस्थापन: एंटी-एजिंग।
- चक्षुष्य: दृष्टि सुधारने में सहायक।
- सर्व दोषघ्न: वात, पित्त, कफ को संतुलित करता है।
- रक्तपित्तघ्न: ब्लीडिंग डिसऑर्डर में उपयोगी।
- प्रमेहघ्न: डायबिटीज और मूत्र विकारों में उपयोगी।
- रसायन: कायाकल्प और पुनर्योजी।
आज का औषध ज्ञान: अरविंदासव
अरविंदासव एक आयुर्वेदिक औषधि है जो बच्चों और वयस्कों की शारीरिक दुर्बलता, पाचन की कमजोरी, और सामान्य कमजोरी में उपयोगी है।
संरचना:
इसमें निम्नलिखित घटक शामिल हैं:
- अरविंद (कमल)
- उशीर
- गंभीरी
- मंजिष्ठा
- द्राक्षा
- मधु (शहद)
मात्रा एवं अनुपान:
- वयस्क: 10-20 मि.ली. + बराबर पानी, भोजन के बाद।
- बच्चे: 5-10 मि.ली. + बराबर पानी, भोजन के बाद।
संकेत (Indications):
- अग्निमांद्य (पाचन की कमजोरी)।
- बाल क्षय (प्रतिरोधक क्षमता की कमी)।
- सर्व बाला रोग (बच्चों की बीमारियाँ)।
- शारीरिक कमजोरी और कुपोषण।
सावधानियाँ:
- मधुमेह रोगियों के लिए नहीं।
- अम्लपित्त और अल्सर के मामलों में इससे बचा जाना चाहिए।
आज का योग ज्ञान: भुजंगासन
भुजंगासन, जिसे Cobra Pose कहा जाता है, आयुर्वेदिक जीवनशैली में एक महत्वपूर्ण योग आसन है। यह आसन रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है और पाचन तंत्र को उत्तेजित करता है।
कैसे करें:
- पेट के बल लेट जाएं।
- हथेलियों को कंधों के नीचे रखें।
- सांस लेते हुए शरीर के ऊपरी भाग को ऊपर उठाएं।
- सिर को पीछे की ओर झुकाएं और गहरी सांस लें।
- कुछ सेकंड तक स्थिति बनाए रखें और फिर सामान्य स्थिति में लौटें।
लाभ:
- रीढ़ की हड्डी और पीठ को मजबूत करता है।
- पाचन तंत्र को सक्रिय करता है।
- मानसिक तनाव को कम करता है।
- फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है।
सावधानियाँ:
- गर्भवती महिलाएं इसे करने से बचें।
- गंभीर पीठ दर्द या स्लिप डिस्क के मामलों में इसे न करें।
निष्कर्ष
आज का आयुर्वेद बुलेटिन आयुर्वेद के बढ़ते प्रभाव, वैश्विक मान्यता, और उपचार पद्धतियों की सफलता को रेखांकित करता है। आयुर्वेद न केवल बीमारियों का इलाज करता है, बल्कि स्वस्थ जीवनशैली और समग्र स्वास्थ्य का मार्ग भी प्रदान करता है।
आशा है कि आपको यह बुलेटिन उपयोगी और प्रेरणादायक लगा होगा। अगली बार फिर मिलेंगे नई जानकारी और खबरों के साथ।
धन्यवाद!