Dhanwantari Wisdom Challenge (DWC)
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#1. काश्यप अनुसार निम्न में से कौन से स्नेह में योनिविशोधन गुण पाया जाता है ?
#2. निम्न में से मूत्र का गुण नही है Which of the following is not a property of mutra?
#3. औषध सिद्ध तैल, घृत, वसादि इनकी सवीर्यतावधी होती है ।
#4. इस गर्भवती स्त्री की संतान उन्मत्त होती है।
#5. जांगम विष के अधिष्ठान होते है – Adhishthāna of Jāngama Visha are -?
#6. षट् कारण वाद में समाविष्ट नहीं है।
#7. रस का आधार द्रव्य है? aadhar dravya of rasa is –
#8. अण्डवृद्धि में मृत्तिका का उपयोग किया जाता है।
#9. हितराम जलचरपक्षी वसा है।। (चरक)
#10. ‘नासिकाग्रं’ पर दृष्टि केन्द्रित करके त्राटक करते है ।
#11. उच्छ्रवास निरोधकारी यह लक्षण….. . शोथ का है?
#12. कदाहारायाः स्नेहद्वेष’ इसके सम्प्राप्ति का कारण है। (च.शा. 8/26)
#13. जिह्वा तालुगते व्रण’ इस ग्रह का लक्षण है।
#14. योगसिद्धिकर भाव कितने है ? (हठ. प्रदि.)
#15. “स्वरस: कल्क:, शृतः, शीतः, फाण्टः, कषायश्चेति | (चरक)”Swarasah, kalkah, shrutah, shītah, phāntah, kashāyashcheti,……………………………….. (charaka)
#16. ……क्षुराकारं छेदभेदनपाटने । (वा.सू.)
#17. गर्भ के विकास के क्रस में 20 वे दिन गर्भ का स्वरूप बताया। (हारीत)
#18. सत्य वचन चुनिए ।
#19. कफजगुल्म की चिकित्सा है। (सुश्रुत)
#20. निम्न में से यह विधान गलत है।
#21. वातासृग गुत्म वग्रोगजीर्णज्वरहरं परम्। (च.सू.27/282)
#22. मध्यमपंचमूल में यह द्रव्य नहीं होता।
#23. चंद्रप्रभा वटी का रोगाधिकार है। (भै.र.)
#24. मूढसंज्ञता यह निम्न में से इसका लक्षण है। (सुश्रुत )
#25. Atavism is means child resembles with his
#26. सामान्यज व्याधियों की कुल संख्या है । (चरक)
#27. चरक के अनुसार ज्ञान देवताओं की संख्या कितनी है ? Number of jnāna (-knowledge) devatā according to charaka is –
#28. निचय गुल्म याने हैं?
#29. चरक मतानुसार विषमां कुरूते बुद्धि नित्यानित्ये हिताहिते किसका लक्षण है
#30. “प्रलम्बतेऽलाबुवतऽल्पमूलो” किसका लक्षण हैं-
#31. सृष्टलोह विनाशिनी किसके लिए कहा गया है।
#32. तीव्र वेदना में पारद योग का आभ्यन्तर प्रयोग का उल्लेख किस ग्रंथ में है?
#33. शारंगधर के अनुसार दाडिम पुटपाक की रोगघ्नता है।
#34. तुत्थ का शोधन इसमें करते है । (र.र.स. )
#35. चरक सूत्र २ में वैद्य के कौनसे गुण बताये गए है ? Which qualities of Vaidya are mentioned in Charak sutra 2 ?
#36. उपवास यह मन्दाम्नि का कारण हो तब चिकित्सार्थ विशेष उपयोगी है।(च.चि.15)
#37. परिहृष्टरोमता’…….का पूर्वरूप है। (सु.उ.24/5)
#38. शूलं तु पीड्यमाने च पाणिभ्यां लभते सुखम् | यह इस वातव्याधि का लक्षण है । (चरक)
#39. चरकानुसार प्रवर शुद्धि में विरेचन के कितने वेग होने चाहिए Number of Virechana vega in pravara shuddhi according to charaka?
#40. श्वग्रह के लक्षण आधुनिक शास्त्र के अनुसार इस व्याधि से संबंधीत है।
#41. अष्टांग हृदय ग्रंथ के चिकित्सास्थान में कुल अध्याय है।
#42. चरकोक्त विडंग का समावेश होता है- According to Charaka Vidanga is present in –
#43. अङ्गरसधातुर्हि विक्षेपोचितकर्मणा यह निम्न में से इसके संदर्भ में कहा है । (चरक)
#44. जोडियों का मेल करें – OPTIONS A: 1. रससार, 2. रक्तसार, 3. मांससार, 4. मज्जासार | OPTIONS B: i) मेधा, ii) बुद्धि, iii) धृति, iv) विद्या, v) इनमे से कोई नहीं
#45. तमोगुणप्रधान वाणी है।
#46. family of अतिविषा is –
#47. प्रवाहिका व्याधि की चिकित्सा निम्न में से इस व्याधि के समान है। (सुश्रुत)
#48. Fetal indication for forcep delivery is.
#49. अश्वगंधा एवं शतावरी इस स्कंध के द्रव्य है ।
#50. स्नायुच्छेदनार्थ… पायना प्रयुक्त होती है।
#51. अम्लरस और दुग्ध सेवन है। (चरक)
#52. धितीका’ प्रयोग इस स्वेदन विधि में करना चाहिये ।
#53. कम्पते प्रदेशाद् दन्तान् यह इस व्याधि का लक्षण है। (चरक)
#54. जोडीयां मिलाएं । 1. मध्यकायगत स्नायु 2. उर्ध्वजत्रु पेशी 3. शाखागत अस्थि 4. तिर्यक धमनी a)4 b)34 c) 120 d) 230
#55. Assertion (A): चरक अनुसार, जिस कुष्ठ के रोगी • बहुदोष के लक्षण उपस्थित है, उसके प्राणो की रक्षा कर अनेक बार संशोधन करना चाहिए । Reason(R) : क्योंकि अधिक मात्रा में दोषनिर्हरण करने से वायु प्रकुपित होकर रोगी को मार डालता है। निम्नलिखित कथनो
#56. अपगलन निम्न में से हैं।
#57. स्वेदन योग्य व्याधि है । (चरक)
#58. कलियुग इस लोकगत भाव का पुरुषगत भाव है ।
#59. गोदुग्ध में कितने गुण होते है ? (चरक)
#60. “सोऽनन्तपारं त्रिस्कंदमायुर्वेद महामति “में ‘पारं’ की व्याख्या के लिए चक्रपाणि ने किस न्याय का सहारा लिया है ? Soanantapāram triskandamayurveda mahāmati………. …” in this Sutra Chakrapani has used which nyāya to define the word “pāram”
#61. प्रभा के संदर्भ में योग्य विधान है ।
#62. तृतीय पटलाश्रित तिमिर चिकित्सा हेतु है। (सु.उ.17/53)
#63. Discrete data is type of data
#64. गर्भाशय के जीवन में स्तन का विकास …………. में होता है । Breast development takes place in …………. of intra uterine life?
#65. Is called as 8th day disease
#66. यवानीसत्व…………………….कृमिनाशक है।
#67. परिणाम लक्षणो…I(र.बै.)
#68. दंतहर्ष व्याधि में दोषप्राधान्य है।
#69. हेतु आहारआचारकाळादय……..हेतु है।
#70. वाग्भट के अनुसार आधार कितने है?
#71. संयोगनाशको गुणो…
#72. किक्विस में निम्न में से ये लक्षण मिलते है । (बा.शा.)
#73. वात, पित्त व कफदोषद्वारा अश्मरी व्याधि की उत्पत्ति….. न्याय से होती है।
#74. Common site of lesion in cellulitis is…
#75. वाग्भटानुसार सक्थ्युित्क्षेप निग्रह्नातिता प्रचक्षते । लक्षण वातव्याधि है।
#76. तात्पर्य टीका यह ग्रंथ इस दर्शन से संबंधित है।
#77. अचिन्त्यवीर्यो’ वायु संबंधी विशेष कथन आचार्य का है।
#78. सुश्रुत ने औषधि सेवन काळ बताये है। (सु.उ.64/67)
#79. निम्न में से यह रक्तज स्वरभेद की विशेष चिकित्सा है किन्तु सनेनिपातज स्लरभेद में वर्ज्य है। (सु.उ,57)
#80. काश्यप अनुसार वन्ध्यत्व किस नानात्मज विकारों में आता है According to Kāshyapa, bandhyatva comes under which nānātmaja vikāra?
#81. बडीश धामार्गव के अनुसार रस की कुल संख्या है।
#82. वाक्ग्रह यह वमन के इस योग का लक्षण है । (चरक)
#83. Which one of the following is NOT a Non- probability sampling?
#84. कंठरोगों में कर्णपूरण की मात्रा है ।
#85. “दुष्टन्तु भुक्तं कफमारुताभ्यां प्रवर्त नोदुर्ध्वमधश्च यस्य” किस व्याधि के सन्दर्भ में कहा गया है ?
#86. …एव मासि कृतरक्षा होममङ्गलस्वस्त्ययनस्य सूर्योदयदर्शनोपस्थानं, प्रदोषे चन्द्रमसः । (काश्यप)
#87. सुश्रुत संरिता में चिकित्सा स्थान में मुखरोग चिकित्सा अध्याय का वर्णन है।
#88. दारुण, चारुण ये निम्न में से इस व्याधि के पर्याय है। (चरक)
#89. कटुकांजन इस पात्र में रखना चाहिए ।
#90. चरक के अनुसार धान्यक परिगणित है ? Dhānyaka is
#91. जिह्वार्निलेखनी की लंबाई होती है।
#92. चशमूर्धता शक्षण इस मर्म पर आघात होने से उत्फा होता है।(सु.शा.6/28)
#93. यदा फेनोद्गम ……..’ स्नेह सिद्धि का लक्षण है।
#94. वाय्वम्बुतेजसा रक्त उष्मणा च अभिसंयुतम् । से इस धातु की निर्मिती स्पष्ट होती है। (च.चि.15)
#95. “श्लेष्माणं शमयेत् पीतं मारुतं चानुलोमयेत्” किसका गुण है ? shleshmanam shamayet pitam maarutam chaanulomyet is the property of –
#96. जांगमविष के अधिष्ठान है।
#97. विष्यन्दमार्दवक्लेदकारकम किसका लक्षण है “VishyandaMārdavaKledaKārakama” is?
#98. ‘निश्चितसाध्यअभाववान्’……है।
#99. उदररोगघ्न होता है। (चरक)
#100. क्रिमिघ्न’ यह द्रव्य नाम है।
#101. सिघ्न कुष्ठ में दोषप्राधान्य है । (चरक)
#102. गलगण्ड का यह प्रकार माधवनिदान में वर्णित नहीं है।
#103. कच्चा आम पक्व होने पर उसका रस अम्ल का मधुर हो जाता है पर आम वही होता है, क्योंकि द्रव्य में……. है ।
#104. मांसपेशियों कुल संख्या होती है । (चरक)
#105. आकुञ्चनप्रसारणादिभिर्विशेषैः’ सुश्रुताचार्य ने किसके संदर्भ में कहा है?
#106. मूलिनी द्रव्यों में बिम्बी का प्रयोग किया जाता है What is the use of bimbi among moolini dravyas?
#107. चरक संहिता में सर्वप्रथम किस महाकषाय का वर्णन किया है Which mahākshāya has been explained first in Charaka Samhita
#108. यह श्लोक पंचकर्म के किस कार्य के द्रव्य के प्रयोगः को बताता है ?: ” गौरव: शिरसः शूले पीनसे अर्धवभेदके| क्रिमी व्याधवपसमारे घ्राण नाशे प्रमोहके || “Gauravah shirasah shūle pīnase Ardhāvabhedake. Krimi vyādhavapasmāre ghrāna nāshe pramohake. This shaloka signifies which karma dravyas of panchkarma
#109. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 1. केन्द्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अनुसंधान परिषदों की सी. जी. एच.एस इकाइयों की आपूर्ति के लिए भारतीय चिकित्सा भेषज निगम लिमिटेड ओषधियों का उत्पादन करता है। 2. आयुर्वेद और यूनानी ओषधियां , औषध एवं श्रृंगार प्रसाधन अधिनियम, 1940 के अंतर्गत शामिल नहीं है। निम्न में से कौनसा कथन सही है ? Consider the following statements: 1. CG of Central Ayurveda and Unani Research Councils The Medical Pharmaceutical Corporation of India Limited produces medicines to supply HS units. 2. Ayurveda and Unani Medicines are not covered under the Drugs and Makeup Cosmetics Act, 1940. Which of the following statement is correct?
#110. निम्न में से यह वातज भगन्दर है ।
#111. ज्वर इस स्रोतस के दृष्टि का लक्षण है। (चरक)
#112. कर्णवेधन इस मास में करना चाहिए। (सुश्रुत )
#113. भावप्रकाश संहिता में प्रकरण संख्या है।
#114. “श्लेष्माणं शमयेत् पीतं मारुतं चानुलोमयेत्” किसका गुण है ? shleshmanam shamayet pitam maarutam chaanulomyet is the property of –
#115. दंतधावन के काल है ।
#116. कर्णवेधन निम्न में से इस मास में करते है । (अ.सं.)
#117. 1)सुश्रुतानुसार वात का मुख्य स्थान पक्वाशय है 2)चरक अनुसार पित्त का मुख्य स्थान आमाशय है 3)सुश्रुत अनुसार कफ का मुख्य स्थान आमाशय है 4)चरक अनुसार वात का मुख्य स्थान श्रोणीगुद है 5) वाग्भट अनुसार पित्त का मुख्य स्थान नाभि है
#118. गात्रविक्षेप लक्षण ….ज्वर का है।
#119. निम्न में से स्तन्यजनन महाकषाय का द्रव्य नही है Which of the following is not a dravya of Stanyajanana mahākshāya
#120. जायन्ते हेतुवैषम्याद्विषमा देहधातवः हेतुसाम्यात् समास्तेषा…… सदा ।
Results
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