#1. इन गुणों को चिकित्सा उपयोगी गुण कहा जाता है ।
#2. आयुर्वेद में कुल कितने गुण बताये है ?
#3. वाग्भट ने तंत्रयुक्तियाँ मानी हैं।
#4. अपि सदोषमाख्यातं मोहांशत्वात् । (चरक)
#5. खलु तक युक्त्यपेक्षः ।
#6. तात्पर्य टीका ग्रंथ इस दर्शन से संबंधित है ।
#7. निम्न में से यह दर्शन कर्मप्रधान है ।
#8. कणोपनिषद के अनुसार ‘मन’ यह जीवनरथ का है |
#9. अचेतन द्रव्यों में होनेवाली हलचल . … यह कर्म है ।
#10. शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध ये पांचों गुण ….. इस महाभूत में होते है ।
#11. संहतपरार्थत्वात्’ से पुरुष तत्त्व का / की स्पष्ट होता है।
#12. . क्रियागुणवत् समवायिकारणामिति लक्षणम्। (वैशेषिक द.)
#13. वात्स्यायनोक्त परार्थ अनुमान है ।
#14. अनुमान परिक्षा भयं ….।
#15. वायु के प्रशस्तपादोक्त गुण है।
#16. निम्न में से ये स्वप्न प्रकार सफल होते है ।
#17. तर्कसंग्रह में परिमाण के प्रकार हैं।
#18. पाणि’ इस कर्मेन्द्रिय का महाभूत है ।
#19. रज व तम गुणों से मुक्त व्यक्ति को कहते है ।
#20. प्रकृतिविकृति कितनी है?
#21. प्रवाल और मुक्ता ये इस गुण के उदाहरण है ।
#22. व्याप्तिविशिष्ट पक्षधर्मता ज्ञानं– ।
#23. क्षालने ….. ।
#24. अभाव के प्रमुख प्रकार है ।
#25. घटादि में मान होता है।
#26. पंचीकरण सिद्धांत इस दर्शन ने बताया है ।
#27. वाक्यार्थ ज्ञान हेतु कितने है ? (मुक्तावलीकार)
#28. क्रियायोग में निम्न में से इसका समावेश होता है ।
#29. यह मूर्तद्रव्य नहीं है ।
#30. पृथ्वी पर स्थित जल को कहते हैं।
#31. आनन्द’ यह कर्म इस इन्द्रिय का है ।
#32. मन के प्रशस्तपादोक्त गुण कितने है।
#33. यस्य प्रेरणे शक्तिः स…. । (हेमाद्रि)
#34. वैशेषिक सूत्र इस ग्रंथ में कुल अध्याय है ।
#35. शुक्लभास्वर इस महाभूत का गुण है ।
#36. संदिग्ध साध्यवान..
#37. चक्रपाणि ने इन गुणों को चिकित्सोपयोगी गुण कहा है।
#38. इंद्रिय के लक्षण पाणिनी सूत्र में — अर्थों से युक्त है।
#39. यथार्थ अनुभवः प्रमा, तत् साधनं च प्रमाणम् । इस सूत्र का संदर्भ है ।
#40. पृथकत्व के प्रकार है ।
#41. आद्यपतनस्य असमवायि कारणं …।
#42. ऐतिह्य प्रमाण अर्थात….. प्रमाण
#43. रत्नत्रय निम्न में से इस दर्शन ने बताये है।
#44. मन की वृत्ति है ।
#45. अरुणदत्त के अनुसार तंत्रदोष व कल्पना क्रमशः है ।
#46. अग्नि महाभूत में प्रशस्तपादोक्त गुण कितने है ?
#47. अनुबंध चतुष्टय में. का समावेश नहीं होता ।
#48. भावाभ्यासनम् ……………… शीलनम् सततक्रिया ।
#49. न्यायदर्शनोक्त प्रमेय है ।
#50. आधिभौतिक गुण कितने है ?
#51. प्रकृति – विकृति धर्म कुल कितने तत्त्वों में होता है ?
#52. तर्क संग्रह के अनुसार प्रत्यक्ष प्रमाण के प्रकार है ।
#53. प्रशस्तपाद के अनुसार आकाश महाभूत में यह गुण नहीं होता ।
#54. प्रमुख प्रमेय है ।
#55. निम्न में से इसका समावेश परमपदार्थ में होता है ।
#56. वेदना का अधिष्ठा है ।
#57. सांख्य दर्शनकार हैं।
#58. वादविद्या अर्थात्
#59. . प्राच्यादि व्यवहार हेतु …. ।
#60. सर्वव्यवहार हेतुः ज्ञानं . । (त.सं.)
#61. शारीरगुण है ।
#62. यत्र यत्र धूमस्तत्र तत्राग्निरिति साहचर्योनियमो । (तर्कसंग्रह)
#63. चरकाचार्य के अनुसार तंत्रयुक्तियाँ है ।
#64. तन्तु संयोग यह पट का …………कारण है ।
#65. प्रकृति – पुरुष में वैधर्म्य है।
#66. अंतःकरण चतुष्टय में इसका समावेश नहीं होता ।
#67. नाम परपक्षे दोषवचनमात्रमेव । (च.वि.)
#68. निम्न में से यह वाक्यार्थ ज्ञान हेतु नहीं है ।
#69. अपृथक्भावो भूम्यादिनां गुणैर्मतः ।
#70. मैं गुंगा हुँ’ ऐसा बोलकर बताना यह कौनसा तर्कप्रकार है।
#71. श्रोत्रेन्द्रिय का द्रव्य है ।
#72. प्रत्यक्षप्रमाण इस दर्शन ने माना है।
#73. हेतु का पक्षपर रहना’ निम्न में से है ।
#74. बौद्धदर्शन में ……… प्रमाण वर्णित है ।
#75. स्तम्भने । (हेमाद्रि)
#76. द्वैतवात निम्न में से किसने माना है ?.
#77. देशबंधश्चित्तस्य — ।
#78. कुमारिल के अनुसार पदार्थ कितने है ?
#79. स्मृति के कारण है ।
#80. तैत्तिरीय उपनिषद के अनुसार जल की उत्पत्ति इस महाभूत से हुई।
#81. पौराणिकों ने प्रमाण माने है ।
#82. पंचतन्मात्राओंकी उत्पत्ति इस अहंकार से हुई है ।
#83. वैशेषिकोक्त प्रथम पदार्थ है ।
#84. घट के निर्माण में दण्ड, चक्र, कुंभकार, ये कौनसे कारण है ?
#85. ब्रह्म सत्यं जगत् मिथ्या’ इस तत्त्वपर आधारित यह दर्शन है ।
#86. न्यायदर्शन में प्रमाण वर्णित है ।
#87. निम्न में से यह मन का प्रधान कर्म है ।
#88. अभाव के भेद है।
#89. का रूप भास्वर शुक्ल है ।
#90. मूल प्रकृति की संख्या है।
#91. काल में प्रशस्तपादोक्त गुण है।
#92. एकं द्रव्यं अगुणं संयोग विभागेषु अनपेक्ष कारणम् इति कर्मलक्षणम् । इस सूत्र का संदर्भ क्या है ?
#93. येन अनुमियते तद् अनुमानम् । इस सूत्र का संदर्भ है ।
#94. यः व्याप्नोति स…………. ।
#95. ज्ञान विज्ञान चचन प्रतिवचन शक्ति संपन्न है।
#96. सामान्य गुणों की संख्या है ।
#97. षड्कारणवाद’ में इसका समावेश नहीं होता ।
#98. ‘पुनर्जन्म सिद्धि’ का वर्णन चरक संहिता के सूत्रस्थान इस अध्याय में आया है ।
#99. जैन दर्शनोक्त व्रत कितने है ।
#100. उपमान के प्रकार है ।
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