Padarth Vigyan MCQs Set-1

Last updated on August 15th, 2024 at 11:29 pm

 

#1. चिकित्सासिद्धि के उपाय’ निम्न में से है ।

#2. मन की वृत्ति है ।

#3. प्रशस्तपादोक्त काल के गुण है।

#4. मन के प्रशस्तपादोक्त गुण कितने है।

#5. भावप्रकाश के अनुसार आकाशमहाभूत का भौतिक गुण है।

#6. इमली’ शब्द श्रवणपश्चात् मुख में लालास्राव होना यह कौनसा प्रमाण है ?

#7. न्यायदर्शन के अनुसार हेत्वाभास के प्रकार है ।

#8. मूल प्रकृति की संख्या है।

#9. यह अधिकरण का प्रकार नहीं है।

#10. उपमान को स्वतंत्र प्रमाण माना है।

#11. इंद्रिय द्रव्य है।

#12. . पृथ्वी में गुण संख्या है।

#13. जाठराग्नि अर्थात् ……… ।

#14. ऐतिह्य प्रमाण अर्थात….. प्रमाण

#15. आत्मा को इस अवस्था में ज्ञान होता है ।

#16. वैशेषिकोक्त प्रथम पदार्थ है ।

#17. तैजस और वैकारिक अहंकार से इसकी उत्पत्ति हुई है ।

#18. कार्यरूप जलमहाभूत की संख्या है ।

#19. वादविद्या अर्थात्

#20. शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध ये पांचों गुण ….. इस महाभूत में होते है ।

#21. . प्राच्यादि व्यवहार हेतु …. ।

#22. क्रियायोग में निम्न में से इसका समावेश होता है ।

#23. कारणभेद से संभाषा के प्रकार है ।

#24. अभावप्रत्ययालम्बना वृत्तिः …..

#25. तत्र पक्षाश्रितयोर्वचनं । (च.वि.)

#26. अविद्या के प्रकार है ।

#27. यथार्थ अनुभवः प्रमा, तत् साधनं च प्रमाणम् । इस सूत्र का संदर्भ है ।

#28. चरकाचार्य नुसार ‘विशेषस्तु पृथकत्वकृत्’ अर्थात् है ।

#29. वैशेषिक सूत्र इस ग्रंथ में कुल अध्याय है ।

#30. सांख्य दर्शनकार हैं।

#31. जैनदर्शनोक्त तत्त्व “संवर” के प्रकार है।

#32. योगदर्शन निम्न में से इस वाद से सम्मत है।

#33. वेदांत की प्रस्थानत्रयी में … का समावेश नहीं है।

#34. बार्हस्पत्य ये इस दर्शन के रचयिता है।

#35. चरकोक्त सामान्य प्रकार है ।

#36. शब्द तन्मात्रावाले इन्द्रिय का स्थान है ।

#37. पूर्वमीमांसा’ दर्शन के रचयिता है ।

#38. तेज महाभूत के प्रशस्तपादोक्त गुण …. है ।

#39. ……. यह मूर्त द्रव्य नही है ।

#40. सामान्य गुणों की संख्या है ।

#41. आचार्य सुश्रुत ने आप्तोपदेश प्रमाण को कहा है।

#42. जडबाद – दर्शनसम्मत है।

#43. कार्यरूप तेज महारूप का परिमाण है ।

#44. दुःख कितने प्रकार का होता है । (सांख्य)

#45. स्वप्न के प्रकार है ।

#46. एकदेशापकर्षन यथा’ इस का संबंध इस तंत्रयुक्तिसे है ।

#47. कर्तृकारणसंयोगात क्रिया’ इस प्रमाण का लक्षण है ।

#48. हठयोग प्रदीपिका के लेखक हैं।

#49. सुश्रुतोक्त आत्म लक्षण है ।

#50. गंध गुण के प्रकार निम्न में से हैं ।

#51. यह मूर्तद्रव्य नहीं है ।

#52. ज्ञानस्याभावो भाव’ यह ……. का लक्षण है ।

#53. घटादि में मान होता है।

#54. द्वैतवात निम्न में से किसने माना है ?.

#55. चरकाचार्य ने कार्यकारणभाव के कितने मुझे बताये है ।

#56. वादमार्ग ज्ञानार्थ पद (शास्त्रार्थ उपयोगी पद) है ।

#57. निम्न में से यह पश्चिम दिशा की देवता है ।

#58. तर्कविद्या अर्थात् ….. ।

#59. ककुभ निम्न में से इसका पर्याय है ।

#60. अनन्यथासिद्ध कार्य नियतपूर्ववत्तिः । (तर्कसंग्रह)

#61. बर्फ (हिम) को स्पर्श किये बिना उसकी शीतलता का ज्ञान होना — यह लक्षण है ।

#62. यस्य शमने शक्तिः स – 1 (भा.प्र.)

#63. परिशेष प्रमाण का उल्लेख इसमें आया है ।

#64. न्याय दर्शनोक्त पदार्थ कितने है ?

#65. धूम को देखकर गुढरूपी अग्नि का अनुमान करना’ यह इस अनुमान का उदाहरण है ।

#66. शुक्लभास्वर इस महाभूत का गुण है ।

#67. मन के गुण है।

#68. पंचावयव वाक्य का प्रयोग होता है।

#69. ‘आशा’ निम्न में से किसका पर्याय है ?

#70. पदार्थधर्मसंग्रह ग्रंथ पर श्रीधराचार्यकी टिका है ।

#71. देशबंधश्चित्तस्य — ।

#72. परिमिता का वर्णन इस दर्शन में आया है ।

#73. त्रिवर्ग में नहीं आता है।

#74. विश्वलक्षणा गुणाः । इस सूत्र का संदर्भ है ।

#75. ‘ऐतिह्य’ प्रमाण निम्न में से कौनसा प्रमाण है ?

#76. माध्यमिक मत इस बौद्ध संप्रदाय को कहते है ।

#77. शास्त्र की त्रिविध प्रवृत्ति में इस का समावेश नहीं है ।

#78. न्यायदर्शनकार के अनुसार प्रमेय है ।

#79. वाग्भट ने तम का रस माना है।

#80. पुष्पफलवंतो वृक्षाः । यह सूत्र निम्न में से इसका है।

#81. . सुश्रुतानुसार कर्मपुरुष है।

#82. स्वभावोपरमवाद’ इस आचार्य ने बताया है ।

#83. दशपदार्थशास्त्रनामक ग्रंथ इस दर्शन से संबंधित है ।

#84. गाय के जैसी वनगाय’ अर्थात् … उपमान है ।

#85. शब्द का प्रसारण इस न्याय से होता है ।

#86. पुरुष निम्न में से है ।

#87. द्वैपायन इस दर्शन के कर्ता है ।

#88. आचार्य चरक नुसार त्रिदण्ड में इसका समावेश नहीं होता ।

#89. : वायु महाभुत का स्पर्श है ।

#90. जिज्ञासा नाम ….

#91. इस में से यह आप्तगुण नहीं है ।

#92. उपनिषद् में इसको अन्नमय कहा गया है।

#93. पृथ्वी महाभूत में कितने प्रकार का रूप रहता है ।

#94. अतिवाहिक पुरुष का वर्णन …….. इस आचार्य ने किया है

#95. संदिग्ध साध्यवान..

#96. चक्रपाणि ने इन गुणों को चिकित्सोपयोगी गुण कहा है।

#97. वेदान्त की प्रस्थानत्रयी में इसका समावेश नहीं है ।

#98. भावाभ्यासनम् ……………… शीलनम् सततक्रिया ।

#99. वैशेषिक दर्शन के टीकाकार है।

#100. पुनर्भव सिद्धि के लिये चरकाचार्य ने… परिक्षाएं बतायी है।

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